पं. मनोज तिवारी ने बताया कि देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। हिंदू सनातन वैदिक पंचांग का 8वां महीना होता है कार्तिक, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। कार्तिक महीने में किया गया स्नान, दान और तुलसी पूजा कभी न खत्म होने वाला पुण्य देते हैं। इस दिन भगवान का दूल्हा स्वरूप में श्रृंगार किया जाएगा। कार्तिक मास में प्रतिदिन गीता का पाठ करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
गौरी शंकर मंदिर में होगा तुलसी विवाह
भीतर बाजार स्थित गौरी शंकर मंदिर में तुलसी विवाह का आयोजन धूमधाम से होगा। यहां मंडल, तेल, हल्दी, बारात का आगमन और द्वारचार की रस्म धूमधाम से निभाई जाएगी। विवाह संपन्न होने के बाद भोजन फलाहारी की व्यवस्था रहेगी। तुलसी विवाह के लिए मंदिर को जगमग लाइटों से सजाया गया है। भीतर बाजार के घरों में विवाह में शामिल होने वाले भक्तों को आमंत्रण पत्रिका पहुंचाई गई है।
एकादशी पर होगा दीपदान
बड़ा बाजार स्थित रामबाग मंदिर में प्रबोधिनी एकादशी पर संध्या आरती के बाद तुलसी-शालिगराम विवाह शुरू होगा। यहां सुबह मंगला आरती के बाद महिलाओं द्वारा सामूहिक दीपदान किया जाएगा। एकादशी व्रत की कथा सुनाई जाएगी। दोपहर 12 बजे राजभोग आरती में साबूदाने की खिचडी़ का भोग लगेगा। शाम को दीपकों से दीपमाला सजाई जाएगी। रात 8 बजे संध्या आरती के बाद विवाह पढ़ा जाएगा।
गंगाजल से अभिषेक होगा
काकागंज स्थित राम दरबार में देव प्रबोधिनी एकादशी पर गन्ना व फूलों से सजे मंडप में तुलसी-शालिग्राम विवाह होगा। सुबह मर्यादा पुरुषोत्तम का दूध, दही, घी, शक्कर, शहद एवं गंगाजल से अभिषेक होगा। नई पोशाक धारण कराकर भगवान का फूलों से विशेष श्रृंगार किया जाएगा। दोपहर 12 बजे साबूदाना की खिचडी़ का भोग लगाया जाएगा। रात्रि में धूमधाम से तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा।