– शोध के लिए टाइगर रिजर्व को चुना
केंद्र सरकार की विशेष अनुमति पर जबलपुर स्थित एसएफआरआई ( स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट) ने संरक्षित वन्य जीवों में शामिल इन भारतीय भेडिय़ों के घटती आबादी, बदलते व्यवहार और राजस्थान व उत्तरप्रदेश में सामने आईं मानव के साथ संघर्ष की स्थितियों को देखते हुए भेडिय़ों का व्यवहार जानने शोध शुरू किया है। भेडिय़ों पर किए जा रहे इस शोध के लिए वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व को चुना है, क्योंकि प्रदेश में सबसे ज्यादा भेडिय़ों की संख्या यहीं पर है। पिछले कुछ दिनों में प्रोजेक्ट को लेकर एसएफआरआइ के संचालक संदीप फैलो, डिप्टी डॉयरेक्टर रविंद्रमणी त्रिपाठी और टीम ने टाइगर रिजर्व में भेडियों के रहवासी क्षेत्रों का भ्रमण कर सैंपल जुटाए हैं।
– टाइगर रिजर्व के 50 गांव में होगा सर्वे
भेडिय़ा प्रोजेक्ट पर काम कर रहे एक्सपर्ट का कहना है कि वे शोध के दौरान भारतीय भेडिय़ों के गतिविधियों के साथ उनके प्राकृतिक आवास, शिकार, रहन-सहन, व्यवहार, भोजन और प्रजनन संबंधी जानकारी सहित उनकी हर गतिविधि पर अध्ययन कर रहे हैं। टाइगर रिजर्व उप संचालक कार्यालय के अनुसार शोध के लिए एक्सपर्ट क्षेत्र के सर्रा, माहोली सहित 50 गांवों में सर्वे करेंगे। इस शोध को पूरा होने में लगभग एक साल और लग सकता है। शोध में आई जानकारियों से भेडिय़ों के जंगल से बाहर आने और मानव आबादी पर हमले जैसी घटनाओं को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
– यह होगा फायदा
– मानव आबादी में दखल का पता चलेगा – भेडियों की अबादी की पहचान होगी – आक्रामक व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी – भेडिय़ों के जीवन के विभिन्न पहलुओं से उठेगा पर्दा
– जीवनशैली में बदलाव चिंताजनक
भेडिय़ा का जीवनशैली का पता करने और उन्हें संरक्षित करने यह शोध शुरू हुआ है। उनकी जीवनशैली में आया बदलाव चिंता का विषय है। शोध से भविष्य में भेडिय़ों का मानव से टकराव को रोकने में मदद मिलेगी। डॉ. एए अंसारी, उप संचालक, टाइगर रिजर्व