scriptकरगिल विजय दिवस : सागर के सपूत कालीचरण और हेमंत ने सीने पर झेली थीं गोलियां | Kargil Vijay Diwas: Sagar's sons Kalicharan and Hemant had faced bullets on their chest | Patrika News
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करगिल विजय दिवस : सागर के सपूत कालीचरण और हेमंत ने सीने पर झेली थीं गोलियां

सागरवासियों के दिलों में आज भी हैं जिंदा सागर. करगिल युद्ध को 25 साल हो चुके हैं। युद्ध में भारतीय सेना ने गजब की जीवटता का परिचय देते हुए पाकिस्तानियों के दांत खट्टे कर दिए थे। इस युद्ध में भारत के 527 वीर जवान शहीद हुए थे और 1363 जवान घायल हुए थे। युद्ध में […]

सागरJul 26, 2024 / 08:45 pm

नितिन सदाफल

शहीद कालीचरण तिवारी, शहीद हेमंत कटारिया

शहीद कालीचरण तिवारी, शहीद हेमंत कटारिया

सागरवासियों के दिलों में आज भी हैं जिंदा

सागर. करगिल युद्ध को 25 साल हो चुके हैं। युद्ध में भारतीय सेना ने गजब की जीवटता का परिचय देते हुए पाकिस्तानियों के दांत खट्टे कर दिए थे। इस युद्ध में भारत के 527 वीर जवान शहीद हुए थे और 1363 जवान घायल हुए थे। युद्ध में सागर के वीर सपूतों ने भी हिस्सा लिया था और वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन छक्के छुड़ा दिए थे। जवानों ने देश की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर किए थे। इनकी शहादत को याद में 26 जुलाई विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बचपन से फौजी बनना था कालीचरण का सपना

महज 22 साल की उम्र में जान न्यौछावर करने वाले शहीद कालीचरण तिवारी कारगिल युद्ध में अपने मोर्चे पर डटे रहे। अचानक उनकी यूनिट पर गोलीबारी शुरू हो गई। वे लगातार दुश्मनों पर गोलियां दागते रहे, जिसके कारण दुश्मन यूनिट पर हावी नहीं हो सके, लेकिन इस मुठभेड़ में लांस नायक कालीचरण शहीद हो गए। तिवारी का जन्म 28 अगस्त 1976 को बुंदेलखंड की पावन धरा सागर जिले में हुआ था। इनके पिता शिवचरण तिवारी स्वयं युद्ध सेवा पदक प्राप्त पूर्व सैनिक थे। चार भाई दो बहनों मेंं तिवारी दंपत्ती की चौथी संतान थे। कालीचरण तिवारी के भाई स्टेशन मास्टर दुर्गाचरण तिवारी ने बताया कि कालीचरण बचपन से ही फौजी बनना चाहते थे। उन्होंने बताया कि कालीचरण ने इमानुएल बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षा प्राप्त की। स्नातक की शिक्षा के लिए डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, लेकिन बचपन में ही देश की सरहदों की रक्षा की शपथ ले रही थी। जिसके चलते 26 अप्रेल 1996 में महज 19 साल की उम्र वे सेना में भर्ती हुए। 1999 में उनकी पोस्टिंग कश्मीर में हुई। युद्ध में कालीचरण को दुश्मनों से लड़ते हुए सीने में दाहिनी तरफ तीन गोलियां लगी, लेकिन इसके बाद भी मातृभूमि की रक्षा और तिरंगे के सम्मान में आंच तक नहीं आने दी।
आतंकवादियों को दिया मुंहतोड़ जवाब

शहीद हेमंत कटारिया का जन्म 26 अक्टूबर 1969 को सदर निवासी शंकरलाल कटारिया और शांति देवी के घर हुआ था। हेमंत दो भाई और चार बहनों में सबसे बड़े थे। बहन प्रभादेवी ने बताया कि हेमंत की प्राथमिक शिक्षा स्वीडिश मिशन स्कूल से हुई और डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की। 30 मई 1994 को हेमंत सेना की 5 महार बटालियन में भर्ती हुए। 21 जुलाई 2000 में बारामूला कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान उनकी आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई और इस दौरान वीरतापूर्वक लड़ते हुए देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहूती दे दी। शहीद हेमंत की याद में सदर क्षेत्र में प्रतिमा तो स्थापित की गई है। प्रभादेवी ने बताया कि प्रतिमा छोटी लगी हुई। इस वर्ष जनप्रतिनिधियों ने बड़ी मूर्ति लगवाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि उनके दूसरे भाई प्रमोद कटारिया अब जबलपुर में रहने लगे हैं। उन्होंने भाई की शहादत को केवल करगिल विजय दिवस पर याद करने और साल भर भूल जाने पर दु:ख जताया। उनका कहना है प्रशासन भी कोई पहल नहीं करता है।

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