धूमधाम से हुआ भगवान राम और माता जानकी का विवाह
चिन्मयानंद बापू ने कहा कि एक अच्छे और संस्कारी बच्चे का कर्तव्य है की अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपने माता-पिता का सहारा बने।
खेल परिसर के बगल वाले मैदान में चल रही राम कथा के पांचवें दिन चिन्मयानंद बापू ने कहा कि एक अच्छे और संस्कारी बच्चे का कर्तव्य है की अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपने माता-पिता का सहारा बने। भगवान राम ने जनकपुर की यात्रा के दौरान अहिल्या का उद्धार किया। बापू ने कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी राजा- महाराजा को विवाह के लिए निमंत्रण भेजा। वहां आए सभी लोगों ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे।
Hindi News / Sagar / धूमधाम से हुआ भगवान राम और माता जानकी का विवाह