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भगवत गीता स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के मुख से प्रकट हुई है- महंत

गीता जयंती पर शहर में हुए विभिन्न आयोजन, इस्कॉन हट ने किया सामूहिक अखंड गीता पाठ

सागरDec 12, 2024 / 12:03 pm

sachendra tiwari

Bhagavad Gita has appeared from the mouth of Lord Shri Krishna himself – Mahant

गीता पाठ करते हुए श्रद्धालु

बीना. राधे-राधे प्रभातफेरी मंडल, इस्कॉन हट, गीता स्वाध्याय मंडल ने गीता जयंती मनाई गई। पूजन के बाद व्याख्यान, संकीर्तन, गीता पाठ किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए।
विश्व गीता प्रतिष्ठानम् उज्जयिनी शाखा ने श्रीदेव रघुनाथ बड़ा मंदिर पर गीता जयंती महोत्सव मनाया, जहां स्वाध्याय मंडल के सदस्यों ने गीता श्लोक का वाचन किया। महंत राधामोहनदास महाराज ने गीता जयंती पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्रीमद्भगवद गीता ग्रंथ का बड़ा महत्व है, क्योंकि ये ग्रंथ स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के मुख से प्रकट हुआ है। गीता में भगवान ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, उनकी वजह से अर्जुन का संशय दूर हो गया था और वे युद्ध के लिए तैयार हो गए थे। आज भी जो लोग गीता का पाठ करते हैं, उनके सभी दु:ख, संदेह दूर होते हैं और मन को शांति मिलती है। राधे-राधे प्रभातफेरी मंडल के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में भक्त माली ने कहा कि अगहन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को जीवन में उतार लेने से हमारी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही उपस्थित भक्तों ने गीता जी का पूजन किया और जीवन में गीता का क्या महत्व होता है यह बताया। दोपहर में एड. राहुल माथुर के यहां संकीर्तन का आयोजन किया गया। वहीं, इस्कॉन संस्था ने केशव प्रभु के सान्निध्य में संपूर्ण भगवद गीता का पाठ, कीर्तन, पुस्तक वितरण, गीता की महिमा, नगर संकीर्तन का आयोजन किया। कार्यक्रम का आयोजन झूलेलाल मंदिर पर हुआ। इस अवसर पर कमल प्रभु ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हमें संदेश मिलता है कि कैसे हम अपने सारे काम पूरे कर सकते हैं, पारिवारिक रिश्ते और मित्रता कैसे निभा सकते हैं, घर-परिवार के साथ-साथ अपनी अन्य जिम्मेदारियां कैसे पूरी कर सकते हैं। जब श्रीकृष्ण द्वारिका में रहते थे, तो प्रजा की समस्याएं सुलझाते थे। इसके अलावा 16108 रानियों और अपने बच्चों को भी समय देते थे। जब वे किसी युद्ध या यात्रा पर जाते थे तो परिवार रुक्मिणी संभालती थीं और राज्य का काम बलराम संभालते थे। श्रीकृष्ण ने संदेश दिया है कि हमें अपनी जिम्मेदारियों को बांटना चाहिए। तभी सभी काम ठीक से पूरे हो सकते हैं। हमें कर्म करने में पीछे नहीं हटना चाहिए।

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