* 42 प्रत्याशी अलग-अलग सीटों पर निर्दलीय रूप से मैदान में उतरे थे। कांग्रेस की सरकार बनी थी और सोशलिस्ट पार्टी दूसरे स्थान पर रही। रीवा और सीधी जिले में सोशलिस्ट पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था।
मृगेंद्र सिंह, रीवा। विधानसभा का पहला चुनाव 1952 में हुआ था। उस दौरान विंध्य प्रदेश अस्तित्व में आया था और नए प्रदेश का पहला चुनाव था। यह चुनाव उत्सुकताओं और आशंकाओं के बीच संपन्न कराया गया, क्योंकि पहले चुनाव में बहुत कम संख्या में लोगों ने हिस्सेदारी की थी। हर सीट में जितने प्रत्याशी मैदान में थे, उतनी संख्या में मतपेटियां भी मतदान केंद्रों में रखी गईं थीं। प्रत्याशियों को आवंटित चुनाव चिह्न उन मतपेटियों पर चस्पा किए गए थे। मतदाता उन्हीं पेटियों में मतपत्र डालते थे। मतगणना के दौरान जिस प्रत्याशी की पेटियों में सबसे अधिक मतपत्र निकले, उसे विजेता घोषित किया गया।
विंध्य प्रदेश में 48 सीटों के लिए हुए मतदान में कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला था। शहडोल के अमरपुर से जीत कर आए पंडित शंभूनाथ शुक्ला को 2 अप्रेेल 1952 को मुख्यमंत्री बनाया गया। सतना के शिवानंद को विधानसभा का स्पीकर बनाया गया। हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए बुंदेलखंड के कई नेता भी दावेदारी कर रहे थे। तब के कांग्रेस संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह ने शंभूनाथ शुक्ला के नाम का ऐलान किया था। उस दौरान कुछ विधायक गोविंदनारायण सिंह को भी नेतृत्व देने की बात कर रहे थे, जिस पर अवधेश प्रताप ने कहा था कि वह परिवार के लिए नहीं पार्टी और प्रदेश के बारे में सोच रहे हैं।
विंध्य प्रदेश की 48 सीटों पर पहले विधानसभा चुनाव में 24,03,588 मतदाताओं की सूची बनाई गई थी। इसमें महज 28.37 प्रतिशत ही वोट पड़े थे। उस चुनाव में 6,81,799 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। पहला चुनाव होने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों के नाम ही मतदाता सूची में नहीं जुड़ पाए थे। खासतौर पर महिलाओं की संख्या बहुत कम थी। जब मतदान कराया गया तो ग्रामीण क्षेत्रों में कई गांवों के बीच मतदान केंद्र बनाए गए थे। इस चुनाव में 39.60 प्रतिशत कांग्रेस, 16.2 प्रतिशत किसान मजदूर प्रजा पार्टी, 18.80 सोशलिस्ट पार्टी, 9.88 प्रतिशत जनसंघ, 4.52 प्रतिशत रामराज्य परिषद और निर्दलीय प्रत्याशियों को 9.11 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।
कांग्रेस: पुष्पराजगढ़ से रामप्रसाद सिंह, दानबहादुर सिंह, बुढ़ार से सरस्वती प्रसाद पटेल, जैतपुर-कोतमा से साहब सिंह, पदमचंद पाटनी, उमरिया से लाल आदित्यनाथ सिंह, अमरपुर से शंभूनाथ शुक्ला, त्योंथर से राजेश्वर प्रसाद मिश्रा, गढ़ी से राणा शमशेर सिंह, सेमरिया से बैकुंठ प्रसाद, गुढ़ से बृजराज सिंह, रायपुर से शत्रुसूदन सिंह, मुकुंदपुर से केशव प्रसाद, अमरपाटन से लालबिहारी सिंह, रामपुर बाघेलान से गोविंदनारायण सिंह, सभापुर से रामसजीवन सिंह, सतना से शिवानंद, अमदरा से रामाधार पांडेय, नागौद गोपालशरण सिंह, हेतराम, पवई से भूरा, नरेंद्र सिंह, अजयगढ़ लाल मोहम्मद, पन्ना से सरयू प्रसाद चांदपुरिया, चंदला से कामता प्रसाद, लौड़ी से महेंद्र कुमार जैन, राजनगर से गोकल प्रसाद, छतरपुर से गोविंदा, पन्नालाल, बिजावर से दीवान प्रताप सिंह, पियारेलाल, मल्हेरा से बसंतलाल, चांदपुरा से ठाकुरदास, जतारा से नारायण दास, लिधौरा से रघुराज सिंह, निवाड़ी से लालाराम वाजपेयी, पृथ्वीपुर से श्यामलाल, स्योंधा से रामदास, लक्ष्मीनारायण, दतिया से श्यामसुंदर दास।
सोशलिस्ट पार्टी: ब्योहारी से रामकिशोर, सिंगरौली से सुमित्री देवी, निवास से श्याम कार्तिक, सीधी-मड़वास से चंद्रप्रताप सिंह, दद्धी सिंह, चुरहट से जगत बहादुर सिंह बडख़रा, कनपुरा से भाईलाल, नईगढ़ी से सहदिया, मनगवां श्रीनिवास तिवारी, रीवा से जगदीशचंद्र जोशी, टीकमगढ़ से रिल्ली प्रसाद।
किसान मजदूर प्रजा पार्टी: ब्यौहारी से बाबादीन , सिरमौर से नर्मदा प्रसाद सिंह, टीकमगढ़ से कृष्णकांत।
जनसंघ: देवसर से गंगाधर, रामनगर से बलवंत सिंह।
रामराज्य परिषद: हनुमना से भुनेश्वर प्रसाद, कोठी से कौशलेंद्र बहादुर सिंह।
निर्दलीय: सोहागपुर से लाल राजेन्द्र बहादुर सिंह, मौगानी से सोमेश्वर सिंह।
सोशलिस्ट पार्टी: ब्योहारी से रामकिशोर, सिंगरौली से सुमित्री देवी, निवास से श्याम कार्तिक, सीधी-मड़वास से चंद्रप्रताप सिंह, दद्धी सिंह, चुरहट से जगत बहादुर सिंह बडख़रा, कनपुरा से भाईलाल, नईगढ़ी से सहदिया, मनगवां श्रीनिवास तिवारी, रीवा से जगदीशचंद्र जोशी, टीकमगढ़ से रिल्ली प्रसाद।
किसान मजदूर प्रजा पार्टी: ब्यौहारी से बाबादीन , सिरमौर से नर्मदा प्रसाद सिंह, टीकमगढ़ से कृष्णकांत। जनसंघ: देवसर से गंगाधर, रामनगर से बलवंत सिंह। रामराज्य परिषद: हनुमना से भुनेश्वर प्रसाद, कोठी से कौशलेंद्र बहादुर सिंह।