अमरीका से भारत सरकार को रीवा के निवेदिता शिशु गृह में यौन शोषण की जानकारी मिलने के बाद आनन-फानन प्रदेश सरकार को मामला सौंपा गया। इसके बाद तत्काल 24 अक्टूबर को रीवा की जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक आयोजित की गई। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी की अध्यक्षता वाली इस बैठक में प्रकरण की गंभीरता और बालकों के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए डीपीसीपी ने वहां रह रहे पांच बच्चों को निवेदिता शिशु गृह से सतना के मातृछाया शिशुगृह में स्थानांतरित करने निर्णय लिया। 24 अक्टूबर को ही जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास प्रतिभा पाण्डेय ने सीडब्ल्यूसी की चेयर पर्सन प्रवीण मिश्रा को आधिकारिक पत्र लिखा। उसमें डीसीपीसी की आपात बैठक आयोजित कर लिए गए निर्णयों से अवगत कराया गया और विषय की गंभीरता से अवगत कराया गया। इसके बाद सीडब्ल्यूसी को इन बच्चों को रीवा से सतना भेजने का आदेश जारी करना था, लेकिन सीडब्ल्यूसी गंभीर मामले में पूरी तरह लापरवाह नजर आ रही है।
पूरा मामला सामने आने के बाद निवेदिता शिशु गृह में दो दिनों से सन्नाटा पसरा है। कार्यालय में इक्का-दुक्का कर्मचारी ही नजर आए और वे संस्था से जुड़ी कोई भी जानकारी देने से कतराते रहे। मुंह खोलने को तैयार नहीं थे। संस्था की चारदीवारी के अंदर ही यह घिनौना कृत्य हुआ है, जिसमें कहीं न कहीं कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है।
उक्त शिशु गृह में लावारिस बच्चे रहते है। जब भी लावारिस बच्चे मिलते हैं तो उनको पुलिस बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश करती है। समिति के निर्देश पर बच्चों को ऐसी संस्थाओं में सुरक्षित रखा जाता है। यदि माता-पिता नहीं मिलते हैं तो उन बच्चों को इच्छुक दंपतियों को गोद दे दिया जाता है।
नियमानुसार शिशुगृह के बच्चों को गोद देने के दौरान उनका मेडिकल परीक्षण किया जाता है। लेकिन इन चार बच्चों के मामले में मेडिकल रिपोर्ट में कुछ भी नकारात्मक नहीं बताया गया था। जब बच्चे अमरीका पहुंचे और वहां सख्त कानून प्रावधानों के बीच प्रशिक्षित काउंसलर्स ने बच्चों की काउंसलिंग की तो पूरा स्याह सच सामने आया। इससे मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने और परीक्षण की प्रक्रिया भी सवालों में घिर गई है।
इस इंटरनेशन मामले में सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष (चेयर पर्सन) प्रवीण मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बहुत ही गैर जिम्मेदाराना बयान दिया। कहा, कोई इमरजेंसी तो है नहीं कि आपात बैठक बुलाई जाए। त्यौहार के कारण बैठक आयोजित नहीं की जा सकी। मेरे सहित चार अन्य लोगों को भी बुलाना पड़ता है। सवाल यह खड़ा हो रहा कि जिस मामले में भारत सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक गंभीर है। डीसीपीसी की कलेक्टर आपात बैठक बुला रहे हैं, संस्था का लाइसेंस निरस्त कर जांच के आदेश हो चुके और बच्चों को अन्यत्र भेजने के डीएम के आदेश हो चुके, इसके बाद सीडब्ल्यूसी को 24 से 26 तक गैर अवकाश के दिनों में बैठक बुलाने का समय नहीं मिला। आज स्थिति यह है कि 28 अक्टूबर तक सीडब्ल्यूसी इस पर कोई निर्णय नहीं ले सकी थी और अगले दिन बैठक लेकर विचार करने की बात चेयरपर्सन प्रवीण मिश्रा ने कही है।
रीवा पुलिस अधीक्षक आबिद खान ने मामले की जांच के लिए डीएसपी राजीव पाठक के नेतृत्व में टीम गठित की है। इसमें उपनिरीक्षक आराधना सिंह, गौरव मिश्रा सहित अन्य शामिल है। मंगलवार को टीम शिशु गृह के कर्मचारियों से पूछताछ करने के साथ ही संस्था के रिकार्ड खंगालेगी। वर्तमान में शिशुगृह में पांच बच्चे है, जिनकी उम्र से तीन से चार साल के बीच है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस बेहद गोपनीय तरीके से इस मामले की जांच कर रही है।
आबिद खान, एसपी रीवा