जब से विकास के एजेंडे पर चुनाव लडऩे की प्रक्रिया शुरू हुई, रीवा में कोई मुकाबले में नहीं होता। दूसरे दल या प्रत्याशी विकास की बात ही नहीं कर रहे। वह अपनी जमानत बचाने या फिर आपस की प्रतिस्पर्धा में लगे हैं।
संजय गांधी अस्पताल में मरीजों की संख्या बढऩे के चलते जिला अस्पताल की स्थापना कराई, सुपर स्पेशलिटी का निर्माण चल रहा है। अब मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि आसपास के उपचार के लिए आएंगे।
अवैध निर्माण रोकने का काम नगर निगम करता है, जहां अवैध कॉलोनियां बन गई हैं, उनके लिए सरकार ने पहले ही नियमों में ढील देते हुए कॉलोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भूमियों में प्रोजेक्ट पारदर्शी तरीके से स्वीकृत हुए हैं, कुछ लोग हर काम में आरोप लगाते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।
रानीतालाब परिसर को धार्मिक एवं पिकनिक स्पॉट बनाया, चिरहुला में भी वही दृश्य दिखने लगा है। वार्डों में पार्कों का उन्नयन चल रहा है। शहर तेजी से बढ़ रहा है, आगे और व्यापक योजना बनाएंगे।
तेजी के साथ इस दिशा में काम हुआ है। सड़कें चौड़ी हो गई हैं, वाहन पार्किंग के स्थान बनाए गए हैं। फ्लाइओवर भी बन गया है। कई नए प्रोजेक्ट पर काम होना है, आने वाले कुछ समय बाद सारी व्यवस्थाएं दुरुस्थ हो जाएंगी।
पहले से ही व्यवस्थाएं थीं, उन्हें अपग्रेड किया गया है। माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय का कैम्पस निर्माणाधीन है, इंजीनियरिंग कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाएंगे। शिक्षा के नाम पर अब दूसरे शहरों में रुपए नहीं जाएगा। बड़े संस्थान खोले जाएंगे।
युवाओं के लिए रोजगार मेले लगाए जाते रहे हैं, स्वरोजगार से भी जोड़ा गया है। सीआइआइ का सेंटर खुल चुका है। स्किल डेवलपमेंट का केन्द्र भी खोलेंगे, जिससे अच्छा रोजगार पाने के हकदार हमारे युवा होंगे।
1- इस बार जनता क्यों वोट करे?
रीवा को विकास का मॉडल बनाना है, इस बार हवाई यात्रा की सुविधा पर फोकस है। सरकार ऐसा काम करेगी कि हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई यात्रा कर सकेगा। इससे रीवा में स्वास्थ्य, पर्यटन, उद्योग हर क्षेत्र में तेजी से विकास होगा।
मेरा राजनीतिक कार्य क्षेत्र सेमरिया जरूर रहा है लेकिन रीवा की गलियों में ही पला-बढ़ा हूं। रीवा में विकास के नाम पर जिस तरह से अराजकता फैली, उस पर बोलने और यहां की सेवा कर बताना है कि लोग सेवक चाहते हैं न कि पीछे के दरवाजे से भागने वाला।
सिर्फ विकास के गीत गाए जा रहे हैं, पार्षदों ने अपनी जरूरत के हिसाब से जो कार्य कराए, जेब में कैंची लेकर कोई पहुंचे और फीता काटकर कहे कि हमने सबकुछ किया है। इसे तो नहीं माना जा सकता। शहर को केवल बेचने के उद्देश्य से काम किया गया है।
राजतंत्र की ऐतिहासिक विरासतों को साजिश के तहत नष्ट किया जा रहा है। सौ साल पहले भी रीवा को देश में जाना जाता था, अब ठेकेदारों को शहर बेचा जा रहा है। हम रीवा का पुराना वैभव लौटाएंगे।
उसके जो प्रत्याशी हैं हर बार कहते हैं कि एक बार जिता दो रीवा को स्वर्ग बना देंगे। जीतने के बाद जहां मर्जी हुई बाहर के ठेकेदार बुलाकर भूमि दे दी। शॉपिंग मॉल बनवा रहे हैं। जनता अब सब समझ गई है और मूड बना लिया है कि शहर बेचने के लिए वोट नहीं देंगे। ऐतिहासिक बदलाव होगा।
विकास के नाम पर शहर को तबाह कर दिया। शुद्ध पानी मिल नहीं रहा, सड़कें खोदकर खराब कर दी। वाहन खड़ा करने की जगह नहीं फिर कैसा विकास। इसके लिए पांच साल की योजना बनाएंगे और साफ-सुथरा विकसित शहर लोगों के सामने होगा। हमारा काम केवल शॉपिंग मॉल बनाना नहीं होगा, समग्र विकास करेंगे।
लोकतंत्र में एक ही व्यक्ति के पास नेतृत्व और सत्ता रहने से वह अहंकारी हो जाता है। इसका उदाहरण रीवा के लोग देख रहे हैं। इसलिए बड़ा बदलाव करने जा रहे हैं।
अस्पताल यही रहेगी, डॉक्टर भी यही रहेंगे। प्रशासन में कसावट आएगी तो सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएगी। खाली पद भरे जाएंगे, रीवा के लोगों को उपचार के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी।
पांच साल में प्रदेश में 934 लोगों को रोजगार मिला है, रीवा में मंत्री रहे हैं बताएं यदि पांच लोगों को भी रोजगार दिलाया हो। अब तक केवल घोषणाएं होती आई हैं, रीवा के हर अवसर में स्थानीय को प्राथमिकता मिले ऐसी व्यवस्था करेंगे।
मोदी को पद की गरिमा का सम्मान रखना चाहिए। भाड़े की भीड़ देखकर ऐसी टिप्पणी से उन्हें बचना चाहिए। जनता अभी छोटे मैनेजरों को निपटाएगी, इसके बाद 2019 में उनका ही नंबर है। झूठ का भाव तभी समझ में आएगा।
जनता को अपने बीच रहने वाला विधायक चुनना चाहिए। जो उनके पास स्वयं पहुंचे और सुख दुख का साथी बने। उनके मोहल्ले या क्षेत्र में क्या जरूरत है उसे पूछकर काम करने वाला सेवक चुने। ऐसा सेवक जो अपनों के लिए खड़ा रहे।