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रीवा में नदी-नाले से प्यास बुझा रहे गरीब, डेढ़ हजार से ज्यदा हैंडपंप खराब

जिले में बढ़ा पेयजल का संकट, हजारो की संख्या में बिगड़े हैंडपंप, अकेले पीएचई के सैकड़ो हैंडपंपों ने छोड़ा पानी, जिले के तराई अंचल में स्कूलों में क्वारंटीन किए गए बाहर से आए लोग एक किमी दूर से पानी ला रहे संदिग्ध

रीवाMay 26, 2020 / 07:37 am

Rajesh Patel

poor who are quenching thirst from river-drain in poor settlements

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rajesh patel IMAGE CREDIT: patrika
रीवा. जिला मुख्यालय से 85 किमी दूर ओबरी गांव में गरीब परिवार नदी-नाले के पानी से गला तर कर रहे। बस्ती के कुछ परिवारों को छोड़ दे तो अधिकतर परिवारों के घरों में नलजल योजना की सप्लाई का पानी नहीं पहुंचा है। चिलचिलाती धूप में कई परिवार नदी से पानी लाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। लू के थेपड़े में कई महिलाएं बच्चों को लेकर नदी में पानी भरने के लिए जद्दो-जहद कर रही हैं। गांव की संगीता वर्मा अपने चार बच्चों को लेकर दिन में दो बार पानी भरने के लिए गांव के लगभग 300 मीटर दूर स्थित पटपट नदी से पानी भरने के लिए जाती है।
नदी के आस-पास की दर्जनों बस्तियों में पेजयल का संकट
संगीता कहती है गांव में नलजल परियोजना लगी है। लेकिन, पूरे गांव में पानी की सप्लाई नहीं होती है। आए दिन बंद रहती है। हैंडपंप भी नहीं लगा है। गांव के ज्यादातर हैंडपंप खराब पड़े हैं। भोजन पकाने और गला तर करने के लिए नदी से पानी लाना पड़ता है। सुबह से ही बच्चों को पानी लाने के लिए प्रेरित करती है। ये कहानी अकेले ओबरी गांव की संगीता की नहीं बल्कि हरदोली, बौसड़, कोल्हुआ, मलोखरी समेत दर्जनभर से अधिक गरीब बस्तियों में पेयजल का संकट है। कुछ गांवों में हैंडपंप और नलजल प परियोजनाएं स्थापित हैं। मामूली तकनीकि त्रुटि के कारण बंद पड़ी हैं।
डभौरा में पानी की टंकी लीक तीन हजार बस्ती प्रभावित
जिले के नष्टिगवां गांव में नलजल परियोजना लंबे समय से बंद पड़ी है। कई बार जनपद सहित जिला मुख्यालय पर अधिकारियों को सूचित किया। लेनिक, किसी के सेहत पर फर्क नहीं पड़ा। सैकड़ो परिवार की इस बस्ती में कई हैंडपंप भी बिगड़े हुए हैं। जिससे पेयजल संकट खड़ा हो गया है। इसी तरह नवीन नगर पंचायत डभौरा में थाने के बलग स्थित पेयजल की टंकी लीक होने के कारण इससे जुड़ी लगभग तीन हजार की आबादी गर्मी में बेहाल है। अधिकांश परिवारा के सामने पेयजल का संकट खड़ा है। ज्यादातर हैंडपंप में तकनीकि खामियां के कारण पानी छोड़ दिए हैं।

रीवा में बंद पड़ी 43 नलजल परियोजनाएं
्रपीएचई विभाग के रेकार्ड में जिले में प्यास बुझाने के लिए 377 नलजल परियोजनां लगी हैं। अधिकारियों का दावा है कि 334 परियोजनाएं चल रही हैं। इसी तरह पीएचई अधिकारियों का दावा है कि जिले में 30615 हैंडपंप स्थापित किए गए हैं। जिसमें 30360 हैंडपंप चालू हैं। अधिकारियों का दावा है कि पीएचई के 255 हैंडपंप बंद है। रिपेयर किए जा रहे हैं। जबकि हर गांव में औसत दो हैंडपंप खराबी का औसत लिया जाए तो जिले में दो हजार से अधिक हैंडपंप बिगड़े हुए हैं।

नगर पंचायतों में अधूरी करोड़ों की पेयजल परियोजनाएं
जिले में नगर पंचायतों में निर्माणाधीन मुख्यमंत्री पेयजल योजना की करोड़ों की पेयजल परियोजनाओं का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। कुछ नगर पंचायतों में निर्माण पूरा हो गया है। बावजूद इसके सप्लाई चालू नहीं हो सकी है। सिरमौर में लंबे समय से पेयजल परियोजना का निर्माण चालू किया गया है। आज तक पूरा नहीं हो सका है। इसी तरह मऊगंज, गोविंदगढ़, मनगवां, नईगढ़ी आदि नगर पंचायतों में निर्माणाधीन है। कई जगहों पर पंप और टंकी का निर्माण पूरा हो गया है। ज्यादातर नगर पंचायतों में टंकी बनकर तैयार हो हो गई है। पाइप लाइन के कारण सप्लाई चालू नहीं हो सकी है।

तराई में क्वारंटीन सेंटर पर पानी की किल्लत
जवा ब्लाक के गुढ़ उपहवार में स्कूल को क्वंारंटीन सेंटर बना गया है। यहां पर बाहर से आए एक व्यक्ति को क्वारंटीन किया गया है। क्वारंटीन व्यक्ति को गांव के हैंडपंप में पानी भरने के लिए रोक दिया गया है। स्कूल का हैंडपंप खराब पड़ा है। करीब आधी किमी दूर घर से पानी लेने के लिए भोजन और पानी लाना पड़ता है। इसी तरह बौसड़ बस्ती में करीब 20 लोग क्वारंटीन हैं। सभी को घर से पानी भेजा जाता है। क्वारंटी बस्ती में हैंडपंप बिगड़े हुए हैं।
पटना, अटरिया, अतैरला में पेयजल का संकट
जिले में कंटेनमेंट घोषित गांवों में भी पेयजल का संकट है। सेमरिया के पटना, अटरिया, रंगलौली सहित जिले के अन्य कंटेनमेंट गांवों में पेयजल का संकट है। पटना, रंगौली और अतरैला के ग्रामीणों ने अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए हैंडपंप ठीक कराए जाने की मांग की है।

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