– इसलिए महत्वपूर्ण है पंचमठा आश्रम
शहर का पंचमठा आश्रम अपने आम में महत्वपूर्ण है। यहां पर आदि शंकराचार्य आए थे। कई दिनों तक रुके रहे, इसी स्थल पर उन्होंने बौद्ध धर्मगुरुओं के साथ शास्त्रार्थ भी किया था और उसके बाद से विंध्य क्षेत्र में सनातन धर्म का विस्तार हुआ। कहा जाता है कि देश में चार मठों की स्थापना के बाद रीवा में ही पांचवे मठ की स्थापना आदि शंकराचार्य करना चाहते थे। बीच में ही उनका देहावसान हो गया, जिसकी वजह से यहां पर पांचवे मठ की स्थापना नहीं हो पाई लेकिन इसका नामकरण पंचमठा जरूर हो गया। यहां पर प्राचीन शिवमंदिर है, जहां सैकड़ों वर्ष से पूजा हो रही है। पांच साल पहले इसी पंचमठा आश्रम से सरकार ने एकात्म यात्रा निकाली थी। जहां पर कई शंकराचार्यों के साथ मुख्यमंत्री भी शामिल हुए थे।
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इन लोगों ने चार दशक पहले शुरू कराया था कार्यक्रम
शहर के पंचमठा में शिवविवाह एवं भंडारे का आयोजन प्रारंभ करने में करीब आधा दर्जन लोग शामिल रहे। बाद में सहयोगी जुड़ते गए। इसमें प्रमुख रूप से समाजसेवी रमेशचंद्र गुप्ता, रामचरण गुप्ता, स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रकांत शुक्ला, भीखराज, आसनदास ठारवानी, त्रिवेणी प्रसाद सिंह, धनवंतर लाल, ओपी गुप्ता सहित अन्य शामिल रहे। इसमें अधिकांश अब दिवंगत हो चुके हैं।
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अब नई पीढ़ी ने संभाला मोर्चा
शहर में शिवबारात के भव्य आयोजन की जिम्मेदारी अब रमेशचंद्र गुप्ता के पुत्र मनीष गुप्ता एवं अन्य संभाल रहे हैं। जिसमें प्रमुख रूप से मनीष गुप्ता के साथ सुमित गुप्ता, प्रतीक पाण्डेय, प्रतीक मिश्रा, लवकुश गुप्ता, अनिल केशरी, ओमप्रकाश मिश्रा, राजेन्द्र निगम, संजय श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, वंशी साहू, मोहित अग्रवाल, निक्की मोदनवाल, सुरेश विश्वनोई, रमाकांत पुरवार, सरिता गुप्ता, योगिता सिंह, भारती शर्मा सहित करीब आधा सैकड़ा लोगों की टीम है जो शिवबारात के आयोजन को भव्य बनाने का कार्य करती है।
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बारात का 131 जगहों पर स्वागत होगा
शिवबारात का स्वागत करने पूरा शहर उमड़ता है। जिसमें अलग-अलग संगठनों के लोग शामिल होते हैं। इस बार 131 जगहों पर बारात का स्वागत किया जाएगा। आयोजन समिति का कहना है कि इस बार एक लाख लोगों को आमंत्रण भेजा गया है। शिव चालीसा के साथ यह आमंत्रण रीवा शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र और संभाग के दूसरे जिलों में भी भेजा गया है।
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बारात में ये रहेंगें मुख्य आकर्षण
शिवबारात में क्रमबद्ध तरीके से कई अलग-अलग झांकियां निकाली जाएंगी। नंदी पर सवार भोलेनाथ की बारात में धर्म ध्वजा, शहनाई, नगडिय़ा, ऊंट, घोड़ा, बग्घी, झंकार धमाल, राधाकृष्ण की झांकी, औघड़ मसान नृत्य की झांकी, भगवान शिव की पार्वती को ब्रह्म ज्ञान प्रदान करते हुए की झांकी, महाकाल की पालकी, रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग पूजा की झांकी, देशभक्ति की झांकी, रावण व हनुमान संवाद की झांकी, डिंडोरी के कलाकारों का गुदुंब नृत्य, काली नृत्य, अघोरी नृत्य एवं चलित आर्केष्ट्रा मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहेंगे।
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पांच हजार किलो खिचड़ी शहर में बंटेगी, एशिया बुक आफ रिकार्ड में होगा दर्ज
रीवा। शिवबारात का आयोजन इस बार ऐतिहासिक होने जा रहा है। कार्यक्रम की भव्यता को एशिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा। इसके लिए निगरानी करने वाली टीम एक दिन पहले ही रीवा पहुंचेगी। इस बार बड़े आकार का कड़ाहा तैयार किया गया है। जिसमें पांच हजार किलो मात्रा में अनाज एवं मसाले के साथ खिचड़ी तैयार की जाएगी। अब तक एशिया बुक आफ रिकार्ड में तीन हजार किलो अनाज एक साथ पकाने का रिकार्ड दर्ज है। आयोजन समिति ने बताया है कि बड़ी मात्रा में तैयार होने वाली खिचड़ी को वितरित कराने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर स्टाल लगाए जाएंगे। प्रमुख मंदिरों में भी प्रसाद के रूप में इसका वितरण होगा। पंचमठा के भंडारे में खिचड़ी के अलावा दूसरे भोजन भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
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मनीष गुप्ता, अध्यक्ष आयोजन समिति
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अनिल केशरी, सदस्य आयोजन समिति
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