क्यों प्रज्वलित की जाती है अखंड ज्योति
मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि पर्व में अखंड ज्योति इसलिए जलाई जाती है क्योंकि माना जाता है कि इस ज्योति के प्रकाश से आपके घर-परिवार की सभी समस्याओं का अंत होने के साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा जो भक्तजन नौ दिनों तक बिना बुझे अखंड ज्योति जलाता है उसे मां अंबे आशीर्वाद देकर उसके जीवन में हमेशा प्रकाश बनाए रखती हैं।
अखण्ड ज्योति जलाने के नियम
1. नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से पहले आपको मन में संकल्प लेकर मां दुर्गा से इस संकल्प को पूरा करने का आशीर्वाद मांगना है। साथ ही श्री गणेश, भोलेनाथ और मां दुर्गा का ध्यान करके ‘ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
2. अखण्ड दीपक को कभी भी जमीन पर रखें। इसे हमेशा किसी लकड़ी के पट्टे पर लाल वस्त्र बिछाकर ही रखें। यदि घर में लकड़ी का पट्टा मौजूद नहीं है तो धरती पर अष्टदल बनाकर उस पर अखंड दीपक जला सकते हैं।
3. यह अखंड ज्योति घर परिवार में सुख-शांति और समृद्धता की प्रतीक मानी जाती है। इसलिए 9 दिनों तक कभी भी इसे ना ही बुझने दें और ना ही अकेला छोड़ें। अगर आपको काम से बाहर जाना भी है तो घर का कोई ना कोई सदस्य अखंड ज्योति की देखभाल के लिए जरूर रुकना चाहिए।
4. यह बात भी ध्यान रखें कि नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने के बाद अखंड ज्योति को स्वयं ना बुझाएं, बल्कि अपने आप ही बुझने दें।
5. अखंड ज्योति गाय के घी से ही प्रज्वलित करना शुभ माना जाता है। अगर गाय का घी नहीं है तो आप अन्य किसी घी का भी उपयोग कर सकते हैं। घी से जलाई हुई अखंड ज्योति को मां दुर्गा के दाईं रखें। यदि दीपक में सरसों का तेल है तब इस अखण्ड ज्योति को देवी के बाईं ओर रखना चाहिए।