विनायक चतुर्थी व्रत का महत्वः वैसे तो यह व्रत हर महीने में रखा जाता है। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी (मनोकामना पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं) के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन भाद्रपद महीने में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। इस दिन दुनिया भर में हिंदू समाज के लोग गणेशजी की जयंती मनाते हैं। मान्यता है कि जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी व्रत रखते हैं, भगवान उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
1. सुबह उठकर स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लें
2. पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर गणेशजी को आसन दें
3. विनायक को पीले फूलों की माला अर्पित करें, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत और दूर्वा अर्पित करें
4. मोदक और लड्डू का भोग लगाएं और व्रत कथा पढ़कर विनायक की आरती करें।
5. रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
1. ॐ गं गणपतये नम:।
2. वक्रतुण्डाय हुं।
3. सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः
4. ॐ मेघोत्काय स्वाहा।
5. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
6. ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।
विनायक चतुर्थी व्रत उपाय
1. वैसे तो इस दिन सभी को व्रत रखना चाहिए पर जो व्यक्ति व्रत नहीं रख पाते, उन्हें इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान देना चाहिए।
2. भगवान गणेश को लड्डू और गुड़ का प्रसाद चढ़ाकर गरीबों को बांटना चाहिए।
4. मनोकामना पूर्ति के लिए विनायक चतुर्थी पर गणेशजी को ऊँ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करते हुए 21 दूर्वा अर्पित करना चाहिए।