1. वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाएं व्रत वाले दिन सुबह जल्दी स्नान के बाद लाल रंग की साड़ी पहनकर सोलह श्रृंगार करें। इसके बाद अपने घर के पूजा स्थल की सफाई करें।
2. फिर पूजा के लिए 2 बांस की टोकरियां तैयार करें। एक टोकरी में सात तरह के अनाज भरें और इसके ऊपर भगवान ब्रह्मा की पूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसी प्रकार दूसरी टोकरी में भी सात तरह के धान भरकर उसके ऊपर सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा रखें।
3. इसके बाद वट वृक्ष के नीचे की जगह भी अच्छी तरह साफ करके वहां गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। दोनों टोकरियों को बरगद के पेड़ के नीचे रख लें। ध्यान रखें कि पहली टोकरी को दाएं और इसके बाईं ओर दूसरी टोकरी रखें।
4. अब सबसे पहले वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें। फिर पेड़ के तने पर कच्चा सूत लपेटते हुए 7 बार परिक्रमा लगाएं। बरगद के पेड़ की माला बनाकर इसे पहनें और वट सावित्री व्रत की कथा सुनें। पूजा के बाद चने के बायने के साथ कुछ पैसे रखकर सासू मां को दे दें और उनका पैर छूकर आशीर्वाद लें।
5. इसके अलावा इस व्रत में दान का भी महत्व है। इसलिए अपनी सामर्थ्य अनुसार फल, अनाज और वस्त्र किसी ब्राह्मण को टोकरी में रखकर दान में दे दें।
6. वहीं ज्योतिष अनुसार वट सावित्री व्रत का पारण 11 भीगे हुए चने खाकर करना चाहिए। इस प्रकार मान्यता है कि विधिवत तरीके से वट सावित्री व्रत और पूजन करने से सुखी वैवाहिक जीवन और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)