Shani Pradosh Falgun: शनि प्रदोष पर बन रहे कई शुभ मुहूर्त, सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी पूजा
त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और सुख समृद्धि के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस दिन व्रत की पूजा शाम को होने के कारण इसे प्रदोष व्रत भी कहते हैं, जबकि वार शनि होने से इसे शनि प्रदोष (Shani Pradosh ) व्रत कहते हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 18 फरवरी को पड़ रही है। इस दिन कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जबकि भगवान शिव की पूजा शाम को सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी, जो अत्यंत फलदायी है।
Shani Pradosh Vrat 2023: धार्मिक मान्यता के अनुसार शनि प्रदोष के दिन व्रत और भगवान शिव, माता पार्वती की पूजा से सुख समृद्धि प्राप्त होती है। इससे कई दोष भी दूर होते हैं। हिंदू कैलेंडर के आखिरी महीने फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत दृक पंचांग के अनुसार 17 फरवरी रात 11.36 पीएम से हो रही है, यह तिथि 18 फरवरी को रात 8.02 बजे संपन्न होगी। वहीं त्रयोदशी पूजा मुहूर्त 18 फरवरी रात 6.08 बजे से रात 8.02 बजे तक है। इसी दिन भगवान शिव की महाशिवरात्रि पूजा भी होगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी शनि प्रदोष पूजाः पुरोहितों के अनुसार शनि प्रदोष की पूजा 18 फरवरी को अत्यंत शुभ मुहूर्त सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी। सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू किया गया हर काम सफल होता है। त्रयोदशी यानी शनि प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त 18 फरवरी रात 6.08 बजे से रात 8.02 बजे तक है और इस दिन 18 फरवरी 5.42 पीएम से अगले दिन 19 फरवरी 6.50 एएम तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। यानी शनि प्रदोष की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग में कोई भी काम करना शुभ माना जाता है। संपत्ति, वाहन आदि की इस योग में खरीद शुभ फलदायी है। यह योग वार और नक्षत्र के योग से बनता है। फाल्गुन प्रदोष श्रवण नक्षत्र और शनिवार के योग के कारण बन रहा है।
ब्रह्म मुहूर्त- 18 फरवरी सुबह 5.11 एएम से सुबह 6. 01 एएम अभिजीत मुहूर्तः 18 फरवरी दोपहर 12.12 पीएम से 12.57 पीएम गोधूलि मुहूर्तः 18 फरवरी 6.15 पीएम से 6.41 पीएम अमृतकालः 18 फरवरी 12.02 पीएम से 1.27 पीएम विजय मुहूर्तः 18 फरवरी 2.29 पीएम से 3.15 पीएम
आनंदादियोगः 7.06 पीएम तक शनि प्रदोष व्रत का महत्वः शनि प्रदोष व्रत से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन शिवलिंग के दर्शन से साधक को धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। पुरोहितों का कहना है कि इस दिन भगवान शिव पार्वती की पूजा के साथ शनि और शिव चालीसा भी पढ़नी चाहिए।