– हनुमान जी को तिल के तेल में मिले हुए सिंदूर का लेपन करना चाहिए।
– हनुमान जी को केसर के साथ घिसा लाल चंदन लगाना चाहिए।
– पुष्पों में लाल, पीले बड़े फूल अर्पित करने चाहिए। कमल, गेंदे, सूर्यमुखी के फूल अर्पित करने पर हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
– नैवेद्य में प्रातः पूजन में गुड़, नारियल का गोला और लड्डू, दोपहर में गुड़, घी और गेहं की रोटी का चूरमा अथवा मोटा रोट अर्पित करना चाहिए। रात्रि में आम, अमरूद, केला आदि फलों का प्रसाद अर्पित करें।
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– जो नैवेद्य हनुमान जी को अर्पित किया जाता है उसे साधक को ग्रहण करना चाहिए।
– मंत्र जप बोलकर किए जा सकते हैं। हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष उनके नेत्रों की ओर देखते हुए मंत्रों के जप करें।
– साधना में दो प्रकार की मालाओं का प्रयोग किया जाता है। सात्विक कार्य से संबंधित साधना में रुद्राक्ष माला तथा तामसी एवं पराक्रमी कार्यों के लिए मूंगे की माला।
हनुमान साधना से ग्रहों का अशुभत्व पूर्ण रूप से शांत हो जाता है।
उद्यन्मार्तण्ड कोटि प्रकटरूचियुतं चारूवीरासनस्थं।
मौंजीयज्ञोपवीतारूण रूचिर शिखा शोभितं कुंडलांकम्
भक्तानामिष्टदं तं प्रणतमुनिजनं वेदनाद प्रमोदं।
ध्यायेद्नित्यं विधेयं प्लवगकुलपति गोष्पदी भूतवारिम।।
उदय होते हुए करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी, मनोरम, वीर आसन में स्थित मुंज की मेखला और यज्ञोपवीत धारण किए हुए कुंडली से शोभित मुनियांे द्वारा वंदित, वेद नाद से प्रहर्षित वानरकुल स्वामी, समुद्र को एक पैर में लांघने वाले देवता स्वरूप, भक्तों को अभीष्ट फल देने वाले श्री हनुमान मेरी रक्षा करें।
हनुमान साधना में अलग कार्यों की पूर्ति हेतु अलग-अलग मंत्र सामग्रियों एवं जप अनुष्ठानों का विधान है। हनुमान साधना में षोडशोपचार पूजा का विधान भी है। इस पूजा में कुएं का शुद्ध जल, दूध, दही, घी, मधु और चीनी का पंचामृत, तिल के तेल में मिला सिंदूर, रक्त चंदन, लाल पुष्प, जनेऊ, सुपारी, गुड़, नारियल का गोला, पांच बत्तियों का दीपक और अष्टगंध आवश्यक हैं।
हनुमान साधना में हनुमान का चित्र और अनुष्ठान से संबंधित यंत्र के अतिरिक्त केवल राम सीता का चित्र अथवा मूर्ति रख सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कोई चित्र या मूर्ति रखना वर्जित है।
हनुमान साधना के दिन प्रातः साधक स्नान कर शुद्ध लाल वस्त्र धारण कर उत्तर दिशा की ओर मुंह कर बैठें तथा अपने सामने हनुमान जी की मूर्ति या चित्र दक्षिणाभिमुख रखें। साधक को संकल्प लेकर अनुष्ठान प्रारंभ करना चाहिए।
हनुमन्मंत्र चमत्कारानुष्ठान:
हनुमान साधना से संबंधित अनेक मंत्र प्रचलित हैं। आदि शंकराचार्य ने ‘हनुमन्मंत्र चमत्कारानुष्ठान पद्धति’ की रचना की। इस ग्रंथ में हनुमान साधना से संबंधित महत्वपूर्ण मंत्र दिए गए हैं। साधक अपनी बाधाओं के अनुसार इन मंत्रों का जप कर अनुष्ठान कर सकता है।
यहां कुछ अति चमत्कारी मंत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं जिनके शुक्ल पक्ष के एक मंगलवार से अगले मंगलवार तक ग्यारह हजार जप करना चाहिए। अनुष्ठान आरंभ करने से पहले हनुमान की पूजा करनी चाहिए। इस अनुष्ठान के लिए मंत्र सिद्ध और प्राण प्रतिष्ठित हनुमान गुटिका लाल कपड़े में बांधकर काले डोरे से अपने गले में धारण कर हनुमान चित्र/विग्रह के आगे अनुष्ठान करें:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित-विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य- कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पना-कल्पद्रुमाय दुष्टमनोरथस्तम्भनाय प्रभंजन- प्राप्रियाय महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधन-धान्यादि विविध सम्पत्प्रदाय राम दूताय स्वाहा।।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावतराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रसुखाय वज्ररोम्णे वज्रनेत्राय वज्रदन्ताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय परयंत्रमंत्र – तंत्रत्राटकनाशकाय सर्वजवरच्छेकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्वभयप्रशमनाय सर्वदुष्टमुखस्तम्भनाय सर्व कार्यसिद्धिप्रदाय रामदूताय स्वाहा।।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवयक्षराक्षस – भूत – प्रेत – पिशाच – डाकिनी – दुष्टग्र बंधनाय रामदूताय स्वाहा।।
ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय पंचवदनाय पश्चिममुखे गरूडाय सकलविघ्न निवारणाय रामदूताय स्वाहा।।