दृक पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि की शुरुआत 26 अप्रैल 11.27 एएम से हो रही है, यह तिथि 27 अप्रैल 1.38 पीएम पर संपन्न हो रही है। इस साल गंगा सप्तमी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.01 बजे से दोपहर 1.38 बजे तक होगा।
1. सुबह उठकर सूर्योदय से पहले गंगा स्नान करें, गंगा स्नान संभव नहीं है तो घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और गंगा स्रोत का पाठ करें।
2. गंगा किनारे कपूर का दीपक जलाएं, यह सौभाग्य में वृद्धि करता है।
3. जरूरतमंद और असहाय लोगों को वस्त्र आदि दान करें।
गंगा सप्तमी उपाय
1. गंगा सप्तमी के दिन गंगाजल में बेलपत्र डालकर शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इससे विवाह के योग भी बनते हैं।
2. शिव मंदिर में घी का दीया जलाकर गंगा स्त्रोत का पाठ करने से बिगड़े काम बन सकते हैं।
3. घर में गंगाजल छिड़कने से घर परिवार के सदस्यों को बीमारी से मुक्ति मिलती है।
गंगा सप्तमी 27 अप्रैल को है और गंगा दशहरा 30 मई को है। इससे आपके मन में सवाल उठते हैं कि दोनों में क्या अंतर है तो इसे गंगा कथा से समझते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महाराज भगीरथ अपने पुरखों सगर पुत्रों के कल्याण के लिए गंगा को धरती पर लाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने तपस्या की। लेकिन देवी गंगा का प्रवाह और वेग इतना तेज था कि उसके कारण समूची धरती असंतुलित हो सकती थी। इस पर भगीरथ की प्रार्थना पर भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया और कुछ समय बाद गंगा दशहरा के दिन उन्हें मुक्त किया ताकि वे भगीरथ के पूर्वजों की श्रापित आत्माओं का कल्याण करने का अपना उद्देश्य पूरा कर सकें।
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इधर भगीरथ के राज्य की ओर जाते समय गंगा के शक्तिशाली प्रवाह और प्रचंड वेग से ऋषि जाहनु का आश्रम नष्ट हो गया। इससे क्रोधित ऋषि ने गंगा को पी लिया। इस पर भगीरथ और देवताओं ने ऋषि से क्षमा याचना कर गंगा को मुक्त करने का आग्रह किया, ताकि गंगा लोगों के कल्याण के उद्देश्य को पूरा कर सकें। इसके बाद गंगा सप्तमी के दिन ऋषि जाहनु ने इन्हें अपने कान से निकाला। इस तरह गंगा सप्तमी के दिन इनका पुनर्जन्म हुआ। इसलिए दिन को जाहनु सप्तमी और गंगा को जाहनु ऋषि की पुत्री जाह्नवी भी कहा जाता है।