Falgun Kanwar Yatra: जानें कितने प्रकार की होती है कांवड़ यात्रा, क्या हैं नियम
Falgun Kanwar Yatra शुरू हो गई है। अलग-अलग तरह से भक्तों को जल लेकर जाते और आते देखेंगे तो आइये बताते हैं कि कितने प्रकार की कांवड़ यात्रा होती (types of Kanwar Yatra)है और क्या हैं कांवड़ यात्रा के नियम।
सामान्य कांवड़ः सामान्य कांवड़िये अपनी यात्रा के दौरान जहां चाहें रूककर आराम कर सकते हैं। यात्रा के रास्ते में लगे पंडालों में ये रूकते हैं और आराम के बाद आगे का सफर शुरू करते हैं।
डाक कांवड़ः डाक कांवड़ यात्रा में यात्री शुरुआत से शिव के जलाभिषेक तक बिना रूके चलते रहते हैं। इनके लिए मंदिरों में विशेष इंतजाम किए जाते हैं। उनके लिए लोग रास्ता बना देते हैं, ताकि वे शिवलिंग तक बिना रूके चलते रहें।
खड़ी कांवड़ः इसमें भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। उनकी मदद के लिए कोई न कोई सहयोगी साथ चलता है। जब कांवड़िया आराम करता है तो साथी कांवड़ अपने कंधे पर रखकर खड़ी अवस्था में चलने के अंदाज में कांवड़ को हिलाता रहता है।
कांवड़ यात्रा के नियमः जानकारों के अनुसार कांवड़ यात्रा के नियम काफी कठिन हैं। यात्रा के दौरान किसी प्रकार का नशा, मांस, मदिरा का सेवन वर्जित है। बिना स्नान को कांवड़ स्पर्श पर रोक है, इस दौरान चर्म का स्पर्श नहीं कर सकते। कांवड़ यात्रा पैदल करनी चाहिए, वाहन चारपाई का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वृक्ष के भी नीचे कांवड़ नहीं रखनी चाहिए और कांवड़ को कांधे पर ही रखना चाहिए। इसे सिर के ऊपर नहीं रखना चाहिए।
जापान में कांवड़ यात्राः हिंदू धर्म मानने वालों की कांवड़ यात्रा का बहुत महत्व है। पिछले साल 2022 में सावन की कांवड़ यात्रा की चर्चा दुनिया भर के मीडिया आउटलेट्स ने की थी। जापान में तो बिहार मूल के 300 लोगों ने टोक्यो से 100 किमी दूर साइतामा स्थित मंदिर तक कांवड़ यात्रा भी निकाली थी और भारत-जापान दोस्ती की 70वीं वर्षगांठ मनाई थी।