हिन्दू कैलेंडर में Ashad Maas आषाढ़ माह को साल का चौथा माह माना जाता है। आषाढ़ माह Sanatan dharma सनातन धर्म में एक धार्मिक माह माना गया है। इस माह में भगवान विष्णु से लेकर भगवान शिव व मां दुर्गा की Gupt navratri गुप्त नवरात्र के दौरान पूजा की जाती है।
माना जाता है कि इसी माह में सभी देवी देवता विश्राम के लिए जाते हैं। वहीं भारत में इस समय काफी बारिश होने के कारण इस माह को वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है।
इसके अलावा इसी माह की शुक्ल एकादशी से Chaturmas चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं। ऐसे में इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ की शुरुआत 25 जून 2021 शुक्रवार से होगी जो 24 जुलाई शनिवार 2021 Guru purnima गुरु पूर्णिमा तक रहेगा।
मान्यताओं के अनुसार देवशयनी यानि Harishyani Ekadashi हरिशयनी एकादशी के दिन से चार माह के लिए देव सो जाते हैं।
चातुर्मास की 8 खास बातें… चतुर्मास की शुरुआत हिंदू कैलेंडर के Ashad Maas आषाढ़ माह से होती है। चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि इस बार मंगलवार,20 जुलाई 2021 से शुरु होकर Kartik shukla ekadashi कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है यानि इसकी अवधि 4 महीने की होती है।
ये चार माह इस प्रकार हैं Shravan mass श्रावण (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से श्रावण शुक्ल एकादशी तक), Bhadrapada Mass भाद्रपद (श्रावण शुक्ल एकादशी से भाद्रपद शुक्ल एकादशी तक), Ashwin Mass आश्विन (भाद्रपद शुक्ल एकादशी से आश्विन शुक्ल एकादशी तक)और Kartik Mass कार्तिक (आश्विन शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानि देव प्रबोधिनी एकादशी तक)।
Starting of chaturmas चातुर्मास के प्रारंभ को Devshayani Ekadashi ‘देवशयनी एकादशी’ कहा जाता है और अंत को ‘देवोत्थान एकादशी’। इस अवधि में यात्राएं रोककर संत एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और तप करते हैं।
मान्यता के अनुसार इस दौरान सभी देवी देवता विश्राम के लिए जाते हैं। इसी माह में देव सो जाते हैं, जिसके कारण इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। यह चातुर्मास का समय Devshayani Ekadashi देवशयनी या हरिशयनी एकादशी से शुरु होता है।
Must read-कोरोना के कारण लगातार दूसरे साल भी रद्द, अब ऑनलाइन होंगे दर्शन भगवान विष्णु की पूजा आषाढ़ मास में काफी महत्वपूर्ण मानी गई है, माना जाता है इस समय जगत के पालनहार श्री हरि की पूजा के साथ ही इस दौरान Tulsi puja तुलसी की पूजा को भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। वहीं आषाढ़ मास के पहले दिन किसी ब्राह्मण को खड़ाऊं, छाता, नमक और आंवले का दान किया जाता है।
इन चार महिनों में यानि चातुर्मास में सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। दरअसल देव के सो जाने के कारण इन 4 माह में विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं।
इन चाह माह को व्रत, भक्ति, तप और साधना का माह माना जाता है। इन चाह माह में संत यात्राएं बंद करके आश्रम, मंदिर या अपने मुख्य स्थान पर रहकर ही व्रत और साधना का पालन करते हैं।
Must Read-चांदी का एक टुकड़ा और ताबें का सिक्का बदल सकता है आपकी किस्मत… चातुर्मास के दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है। वहीं सुबह उठने के बाद अच्छी तरह से स्नान करने के अलावा अधिकतर समय मौन रहना चाहिए। वहीं साधुओं के नियम इस समय अत्यधिक कड़े होते हैं। इस दौरान दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए।
चातुर्मास में व्रत के दौरान दूध, शक्कर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का उपयोग नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है। माना जाता है कि इस दौरान हमारी पाचनशक्ति कमजोर पड़ने के साथ ही भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ जाती है। इसीलिए नियम पालन करना जरूरी है।