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ज्योतिष: सुबह-शाम बस इस एक काम से सदा बना रहता है मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

Astro Tips: हिंदू धर्म शास्त्रों में धन की देवी मां लक्ष्मी को माना गया है जिनकी कृपा से घर में कभी सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कमी नहीं होती। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सुबह-शाम इस एक काम को करने से…

Jul 05, 2022 / 01:57 pm

Tanya Paliwal

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ज्योतिष: सुबह-शाम बस इस एक काम से सदा बना रहता है मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

Ashtalakshmi Stotram: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी का वास जिस घर में होता है वहां सदा सुख-समृद्धि और वैभव बना रहता है। मान्यता है कि घर में माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर की विधि-विधान से नियमित पूजा करने से व्यक्ति के मान-सम्मान और यश में वृद्धि होती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि सुबह-शाम मां लक्ष्मी के अष्टलक्ष्मी स्रोत का पाठ किया जाए तो इसके नियमित जाप से घर में सदा मां लक्ष्मी का वास होता है और उनके आशीर्वाद से कभी धन की कमी नहीं होती…


अथ श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम

आदि लक्ष्मी

सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये।
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि वेदनुते।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम्।

धान्य लक्ष्मी
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये।
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम्।

धैर्य लक्ष्मी
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते।
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम्।

 

गज लक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये।
रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते।
हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम्।

सन्तान लक्ष्मी
अयि खगवाहिनी मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वर भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वन्दित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि परिपालय माम्।

विजय लक्ष्मी
जय कमलासनि सद-गति दायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये।
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर भूषित वसित वाद्यनुते।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्करदेशिक मान्यपदे।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयक्ष्मि परिपालय माम्।

विद्या लक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये।
मणिमय भूषित कर्णविभूषण शान्ति समावृत हास्यमुखे।
नवनिद्धिदायिनी कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम्।

धन लक्ष्मी
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमी दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये।
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते।
जय जय हे कामिनि धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम्।

अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि। विष्णुवक्षःस्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी।। श्लोक।। शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः। जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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