बुधवारी अष्टमी-
सप्ताह के दिनों के अनुसार बुधवार को पडऩे वाली अष्टमी को बुधवारी अष्टमी कहा जाता है।
बताया जाता है कि जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा पूर्वक बुध अष्टमी का व्रत करता है उसे मृत्यु के पश्चात नरक नहीं जाना पड़ता है। लोक कथाओं के अनुसार बुध अष्टमी का उपवास करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
ऐसे समझें बुधाष्टमी का महत्व-
हमारे शास्त्रों में अष्टमी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है. जिस बुधवार के दिन अष्टमी तिथि पड़ती है उसे बुध अष्टमी कहा जाता है. बुध अष्टमी के दिन सभी लोग विधिवत बुद्धदेव और सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं. मान्यताओं के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बुध कमजोर होता है उनके लिए बुध अष्टमी का व्रत बहुत ही फलदाई होता है.
बुध अष्टमी के दिन करें इन मंत्रो का जाप-
बुद्ध अष्टमी के बुध देव की पूजा करते वक्त इन मत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
ऊं बुधाय नम:, ऊं सोमामात्मजाय नम:
ऊं दुर्बुद्धि नाशनाय, ऊं सुबुद्धि प्रदाय नम:
ऊं तारा जाताय,ऊं सोम्य ग्रहाय नम:
ऊं सर्वसौख्याप्रदाय नम:।
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जन्माष्टमी 2023-
भाद्रपद अष्टमी तिथि 06 सितंबर,बुधवार को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ होगी, जो 7 सितंबर को शाम में 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। वहीं रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से होगा जो 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।
ऐसे में गृहस्थ लोग जन्माष्टमी का व्रत 6 तारीख को रखेंगे, जबकि वैष्णव व बल्लभ पंथ मानने वालों की जन्माष्टमी 7 सितंबर को है। वहीं इस बार 6 सितंबर को बहुत ही शुभ जयंती योग भी बन रहा है। इसलिए गृहस्थ लोगों के लिए 6 सितंबर के दिन जन्माष्टमी का व्रत रखना बहुत ही शुभ रहने वाला माना जा रहा है। इसके अलावा साधु और ऋषियों के लिए 7 सितंबर के दिन जन्माष्टमी का व्रत रहेगा।
निशिता पूजा समय – 06सितंबर की रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 42 मिनट तक
अष्टमी तिथि का आरंभ – 6सितंबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर
अष्टमी तिथि का समापन- 7 सितंबर 2023 को शाम4 बजकर 14 मिनट तक
रोहिणी नक्षत्र का आरंभ – 6 सितंबर 2023 सुबह 9 बजकर 20 मिनट से
रोहिणी नक्षत्र का समापन- 7 सितंबर 2023 को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर
जन्माष्टमी पूजा की अवधी- पूजन की कुल अवधि 46 मिनट
व्रत पारण का समय- कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पारण 07 सितंबर 2023 को किया जाएगा।