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धर्म और अध्यात्म

चारों युगों को ऐसे समझें, जानें इसके लक्षण और प्रभाव

– हर युग का अपना कुछ स्वभाव होता है जिसका प्रभाव मनुष्य से लेकर वस्तुओं, प्रत्येक चीज पर पड़ता है।

Nov 11, 2022 / 01:17 pm

दीपेश तिवारी

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महर्षि व्यास जी के अनुसार सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलयुग इन सब को मिलाकर कुल चार युग होते हैं। जो ईश्वर के बारह हजार दिव्य वर्षों को मिलाकर बनते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि यह चारों युग एक जैसे ही होते है। युगों में सबसे पहले सतयुग आता है और आखिरी में कलयुग की बारी आती है।

क्या आपको पता है कि हर युग में ईश्वर का जन्म जरूर होता है। यदि आप नहीं जानते तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मान्यताओं के अनुसार कलयुग हो या सतयुग या फिर द्वापरयुग ही क्यों न हो हर युग में किसी न किसी ईश्वर का जन्म अवश्य होता है।

आपने सनातन धर्म में चारों युगों के वर्णन और ब्रह्मा जी के आयु के विषय में पहले भी सुना या पढ़ा है। ऐसे में आज हम पंडित सुनील शर्मा से चतुर्युगी व्यवस्था की प्रकृति के विषय में थोड़ा और विस्तार से जानेंगे।

हर युग का अपना कुछ स्वभाव होता है जिसका प्रभाव मनुष्य से लेकर वस्तुओं, प्रत्येक चीज पर पड़ता है। आइए इसके विषय में कुछ जानते हैं…

1- सतयुग
कुल समय: 4800 दिव्य वर्ष या 1728000 मानव वर्ष।
पाप: 0 भाग
पुण्य: 20 भाग
मनुष्यों की औसत आयु: 100000 वर्ष
मनुष्यों की औसत उंचाई: 21 हाथ
पात्र: स्वर्णमय
द्रव्य: रत्नमय
प्राण: ब्रम्हांडगत
तीर्थ: पुष्कर
स्त्रियाँ: पद्मिनी एवं पतिव्रता
सूर्यग्रहण: 32000 बार
चंद्रग्रहण: 5000 बार
वर्ण: 4, सभी अपने धर्म में लीन रहते थे।
ब्राह्मण: चतुर्वेदी (4 वेद पढने वाले)।
चरण: 4 (1200 दिव्य वर्ष x 4)
अवतार: 4
मत्स्य,हयग्रीव,कूर्म,वराह,नृसिंह

सत्ययुग की अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष है। मनुष्य की आयु प्रारम्भ में दस लाख वर्ष होती है। अन्त में एक लाख वर्ष होती है। मनुष्य की ऊंचाई 21 हाथ यानि लगभग 100 से 150 फुट होती है। {उस समय मनुष्य के हाथ (कोहनी से बड़ी ऊंगली के अंत तक) की लंबाई लगभग 5 फुट होती है।} {वर्तमान में कलयुग में मनुष्य के एक हाथ की लंबाई लगभग डेढ़ (1)) फुट है। पहले के युगों में लंबे व्यक्ति होते थे। उनके हाथ की लंबाई भी अधिक होती थी।}

 

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2- त्रेतायुग
कुल समय: 3600 दिव्य वर्ष या 1296000 मानव वर्ष।
पाप: 5 भाग
पुण्य: 15 भाग
मनुष्यों की औसत आयु: 10000 वर्ष
मनुष्यों की औसत उचाई: 14 हाथ
पात्र: रजत (चांदी) के
द्रव्य: स्वर्ण
प्राण: अस्थिगत
तीर्थ: नैमिषारण्य
स्त्रियां: पतिव्रता
सूर्यग्रहण: 3200 बार
चंद्रग्रहण: 500 बार
वर्ण: 4, सारे अपने-अपने कार्य में रत थे।
ब्राह्मण: त्रिवेदी (3 वेद पढने वाले)।
चरण: 3 (1200 दिव्य वर्ष x 3)
अवतार: 3
वामन,परशुराम,श्रीराम

त्रेतायुग की अवधि 12 लाख 96 हजार वर्ष होती है। मनुष्य की आयु प्रारम्भ में एक लाख वर्ष होती है, अंत में दस हजार वर्ष होती है। मनुष्य की ऊंचाई 14 हाथ यानि लगभग 70 से 90 फुट होती है।

3- द्वापरयुग
कुल समय: 2400 दिव्य वर्ष अथवा 864000 मानव वर्ष।
पाप: 10 भाग
पुण्य: 10 भाग
मनुष्यों की औसत आयु: 1000 वर्ष
मनुष्यों की औसत उचाई: 7 हाथ
पात्र: ताम्र
द्रव्य: चांदी
प्राण: त्वचागत
तीर्थ: कुरुक्षेत्र
स्त्रियां: शंखिनी
सूर्यग्रहण: 320 बार
चंद्रग्रहण: 50 बार
वर्ण: 4, व्यवस्था दूषित हो गयी थी।
ब्राह्मण: द्विवेदी (2 वेद पढने वाले)।
चरण: 2 (1200 दिव्य वर्ष x 2)
अवतार: 1
श्रीकृष्ण

द्वापरयुग की अवधि 8 लाख 64 हजार वर्ष होती है। मनुष्य की आयु दस हजार प्रारम्भ में होती है। अंत में एक हजार रह जाती है। मनुष्य की ऊंचाई 7 हाथ यानि 40.50 फुट होती है।

 

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4- कलियुग
कुल समय: 1200 दिव्य वर्ष या 432000 मानव वर्ष।
पाप: 15 भाग
पुण्य: 5 भाग
मनुष्यों की औसत आयु: 1000 वर्ष से शुरु हई,जो आगे चल कर 20 वर्ष तक रह जानी है।
मनुष्यों की औसत उचाई: 3.5 हाथ
पात्र: मिटटी
द्रव्य: ताम्र
मुद्रा: लौह
तीर्थ: गंगा
प्राण: अन्नमय
वर्ण: चार, सभी अपने कर्म से रहित होंगे।
ब्राह्मण: 1 वेद पढ़ने वाले होंगे, अर्थात ज्ञान का लोप हो जाएगा।
चरण: 1 (1200 दिव्य वर्ष x 1)
अवतार: 2
भगवान बुद्ध,कल्कि

कलयुग की अवधि 4 लाख 32 हजार वर्ष होती है। मनुष्य की आयु एक हजार वर्ष से प्रारम्भ होती है, अंत में 20 वर्ष रह जाएगी और ऊंचाई साढ़े तीन हाथ यानि 10 फुट होती है। अंत में यह 3 फुट रह जाएगी।

 

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वहीं सनातन मान्यताओं के अनुसार कल्कि का जन्म कलयुग में होने वाला है, ये संभल ग्राम के ब्राह्मण विष्णुयश के घर जन्म लेंगे। भगवान परशुराम उनके गुरु बनेंगे। कलियुग के अंत में गंगा पृथ्वी से लीन हो जाएगी और भगवान विष्णु धरती का त्याग कर देंगे।

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