शिव वास सूत्र
भगवान शिव के निवास (Shiv Vas Rule) का पता लगाने के लिए महर्षि नारद ने शिव वास गणना का शिव वास सूत्र बनाया था। इसके अनुसार शिव वास जानने के लिए पहले तिथि पर ध्यान दें, शुक्ल पक्ष में पहली तिथि से पूर्णिमा तक की तिथि को 1 से 15 तक का मान दें और कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से अमावस्या तक को 16 से 30 मान दें। इसके बाद जिस तिथि के लिए शिव वास देखना है, उसमें दो से गुणा करें, फिर गुणनफल में 5 जोड़ दें और सबसे आखिर में 7 से भाग दे दें। शेष फल जो आएगा उससे शिव वास का पता लगेगा। इसे सूत्र रूप में इस तरह पढ़ सकते हैं।तिथिं च द्विगुणी कृत्वा पुनः पञ्च समन्वितम ।
सप्तभिस्तुहरेद्भागम शेषं शिव वास उच्यते ।।
एके कैलाश वासंद्धितीये गौरिनिधौ।।
तृतीये वृषभारूढं चतुर्थे च सभास्थित।
पंचमेभोजने चैव क्रीड़ायान्तुसात्मके शून्येश्मशानके चैव शिववास वास संचयोजयेत।। ये भी पढ़ेंः Shravan Dreams- सावन में भगवान शिव सपनों के माध्यम से देते हैं ये शुभ संकेत
शिव वास का फल
1. यदि शेषफल एक आता है तो शिव वास कैलाश में होगा और इस समय पूजा का फल शुभ फलदायक होगा।
2. यदि शेषफल दो आता है तो शिव वास गौरी पार्श्व में होगा और इसका फल सुख संपदा प्रदान करने वाला होगा।
3. यदि शेषफल तीन आता है तो शिव वास वृषारूढ़ होगा और इसका फल अभीष्ट सिद्धि होगा, लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।
4. यदि शेषफल चार आता है तो शिव वास सभा में होगा और इसका फल संताप प्रदान करता है।
5. यदि शेषफल पांच आता है तो शिव वास भोजन पर होगा और इसका फल भक्त के लिए पीड़ादायी हो सकता है।
6. यदि शेषफल छह आता है तो शिव क्रीड़ारत रहेंगे और इससे कष्ट मिल सकता है।
7. यदि शेषफल शून्य आता है तो शिव वास श्मशान में होगा और मृत्यु हो सकता है।
कैलाशे लभते सौख्यं गौर्या च सुख सम्पदः । वृषभेऽभीष्ट सिद्धिः स्यात् सभायां संतापकारिणी।
भोजने च भवेत् पीड़ा क्रीडायां कष्टमेव च । श्मशाने मरणं ज्ञेयं फलमेवं विचारयेत्।। ये भी पढ़ेंः Mahashivratri 2024: जयपुर से भी पुराना है यह मंदिर, यहां अदृश्य हो जाती हैं शिव परिवार की मूर्तियां