इसमें कहा गया है कि विक्रम संवत 1383 में कच्छप राजा देवपाल ने यह मंदिर बनवाया था। मान्यता है कि यह मंदिर, सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित की शिक्षा प्रदान करने का स्थान था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है। यह मंदिर सौ फीट ऊंची पहाड़ी पर है, और नीचे खेती किए गए खेतों का दृश्य प्रस्तुत करता है। 64 योगिनियों को समर्पित मंदिर बाहरी रूप से 170 फीट की त्रिज्या के साथ आकार में गोलाकार है।
कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने इसी मंदिर को आधार मानकर भवन की डिजाइन तैयार की थी। पुराने संसद भवन में बाहर की तरफ उसी तरह खंभे दिखते हैं जिस तरह चौसठ योगिनी मंदिर में अंदर की तरफ खंभे लगे हुए हैं। वहीं जिस तरह मंदिर के अंदर बीच में गर्भगृह है, वैसे ही संसद भवन के बीच में सेंट्रल हॉल है। भारतीय संसद की पुरानी इमारत इसी से प्रेरित जान पड़ती है। इधर पुरानी इमारत चौसठ योगिनी मंदिर की डिजाइन से प्रभावित बताई जाती है तो नए संसद भवन की डिजाइन सामने आने के बाद इस पर विदिशा के विजय मंदिर (parliament new building) की छाप होने की चर्चा है।
सेंगोल (Sangolofindia) सेंगोल तमिल शब्द सेम्मई और संस्कृत के संकु (शंख) से लिया गया है जिसका अर्थ है नीति परायणता। सेंगोल एक तरह का राजदंड माना जाता है, जिस पर नंदी बने हुए हैं। इसका मतलब संपदा और अर्थ, भाव नीति पालन से भी लिया जाता है, इसका संबंध आठवीं सदी के चोल साम्राज्य से भी है, जो सभापति के आसन के पास लगेगा।
कुछ लोगों का मानना है कि भारत की आजादी के समय सेंगोल सौंपकर ही अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरा किया था। जिसे बाद में नेहरूजी के प्रयागराज स्थित निवास में जो अब म्युजियम बन गया है, में रख दिया गया था। इसका तलाश की शुरुआत जानी मानी डांसर पद्मा सुब्रह्मण्य के इस संबंध में पीएम कार्यालय को लिखे पत्र से हुई थी।
ग्रंथों के अनुसार प्राचीन काल में राज्याभिषेक के बाद राजा राजदंड लेकर सिंहासन पर बैठता था। चोल काल में राजदंड का प्रयोग सत्ता हस्तांतरण के लिए किया जाता था। उस समय तत्कालीन राजा नए राजा को यह सौंपता था। कहा जाता है कि स्वतंत्रता के समय वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पं. नेहरू से पूछा कि इस अवसर पर क्या कोई समारोह होना चाहिए।
इस पर उन्होंने सी राजगोपालाचारी से बात की। उन्होंने चोल कालीन समारोह का प्रस्ताव दिया। जहां एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता का हस्तांतरण पुरोहितों के आशीर्वाद के साथ किया जाता था।
पुराने संसद भवन में वेदों के श्लोकः पुराने संसद भवन में भी वेदों और उपनिषदों के श्लोक लिखे हुए हैं, नए संसद भवन के निर्माण कार्य शुरू होने से पूर्व हुई बैठक में नए भवन में इसकी संख्या बढ़ाने, भारतीय कला, संस्कृति और शिल्प की छाप दिखाने पर सहमति बनी थी।
सागर मंथन भारत की नई संसद में पीतल के दो भित्ति चित्र भी होंगे, इनमें से एक पर सागर मंथन की कहानी उकेरी गई है, जो हमारे पौराणिक आख्यान और उसके संदेशों को संजोए रहेगी और जनप्रतिनिधियों को याद दिलाएगी कि संसद को किस तरह संसार सागर से जन कल्याण के लिए रत्न निकालना है।