जानकारों के अनुसार यूं तो ये कालसर्प योग काफी लंबे समय तक रहेगा, लेकिन चंद्रमा के कारण यह कालसर्प योग बीच बीच में भंग भी होगा, इसका कारण ये है कि चंद्रमा सवा दो दिन में राशि परिवर्तन करते हैं।
ऐसे में चंद्रमा राहु के आगे निकलेंगे, तो कालसर्प योग खंडित होगा और इसका असर कम (आंशिक असर) होगा।
दरअसल 14 दिसंबर से बन रहे कालसर्प योग के बाद चंद्रमा 17 दिसंबर को राहु केतु के बीच से बाहर आ जाएंगे, जिससे यह योग खंडित हो जाएगा। लेकिन यह कालसर्प योग पुन: शुक्रवार 31 दिसंबर को पूर्ण रूप से सुबह 5 बजे बन जाएगा, ऐसे में आने वाला 2022 के साल का प्रारंभ कालसर्प योग में ही होगा। जबकि 13 जनवरी को एक बार फिर ये योग खंडित हो जाएगा। जो 14 से 15 दिनों तक खंडित रहेगा। और फिर यह योग गुरुवार, 27 जनवरी से पुन: प्रारंभ हो जाएगा, जो रविवार, 24 अप्रैल 2022 तक रहेगा। जिसके बाद यह पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा।
ये होगा असर!
जिस समय तक ब्रह्मांड में यह कालसर्प योग रहेगा। तब तक विश्व में तनाव रहने के साथ ही कई अन्य प्रकार की समस्याएं भी समाने आती रहेंगी। इस समय सीमा पर भी दिक्कतें हो सकती है।
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वहीं जानकारों के अनुसार सामान्य लोगों के लिए यह समय बेहतर रहता दिख रहा है। इसके साथ ही इस दौरान जिन जातकों के घरों में संतान का जन्म होगा, उन नवजातों की जन्म कुंडली में कालसर्प योग बनेगा।
किनके लिए शुभ, किनके लिए अशुभ?
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जब कभी ब्रह्मांड में कालसर्प योग बनता है, तब राहु केतु को छोड़कर अन्य ग्रह एक ही तरफ आ जाते हैं। ऐसे में उन ग्रहों की शक्ति में कमी हो जाती है। जिसके चलते अच्छे ग्रह अपना पूरा प्रभाव प्रदान नहीं दे पाते हैं। वहीं जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प योग शुभता की स्थिति में है, उनके लिए ये समय शुभ फलों में वृद्धि करेगा। जबकि जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प योग दोष की स्थिति में है, उनके लिए ये समय तकलीफदायक रहेगा।
क्या करें इस दौरान
जानकारों के अनुसार जिन जातकों की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष के रूप में है, ऐसे जातकों को इस समय कालसर्प दोष की शांति अवश्य करानी चाहिए। कारण ये है कि इस समय ब्रह्मांड में भी कालसर्प योग बना रहेगा। जिसके चलते इस समय कालसर्प दोष की शांति विशेष तौर जरूरी है।
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दोष मुक्ति के लिए अपनाएं ये विधि
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए किसी सपेरे के नाग नागिन को लेकर उन्हें मुक्त कराना चाहिए ये विधि इस दोष से मुक्ति में विशेष मानी जाती है, इसके साथ ही ब्रह्मांड में कालसर्प योग के निर्माण के दौरान जातक को तांबे के नाग नागिन का पूजन कर उन्हें बहते हुए शुद्ध जल में छोड़ना चाहिए।
इसके अलावा हर बुधवार को नागदेवता की प्रतिमा या तांबे के नाग में चंदन या केवड़े के इत्र को लगाकर उनकी पूजा भी करनी चाहिए।
इस कालसर्प योग की अवधि में यानि 14 दिसंबर 2021 से 24 अप्रैल 2022 के बीच में राहु व केतु राशि परिवर्तन भी करेंगे। इसके तहत मंगलवार 12 अप्रैल 2022 को राहु दोपहर 01 बजकर 30 मिनट पर राशि बदलते हुए मेष राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
ऐसे में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश व पंजाब के चुनाव को लेकर और नए साल का लोग जश्न मनाएंगे। वहीं ग्रहों से मिल रहे संकेतों के अनुसार इन जश्न के दौरान नियम व कायदों का विशेष ध्यान रखना होगा, अन्यथा यह जश्न लोगों को काफी भारी पड़ सकता है।