7 अक्टूबर दिन शनिवार को मातृ नवमी का श्राद्ध नवमी श्राद्ध या अविधवा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं का तिथि पर श्राद्ध के साथ इस तिथि पर भी श्राद्ध करना चाहिए। मान्यता है कि नवमी श्राद्ध के दिन विधि पूरी करने से धन, संपत्ति प्राप्त होती है, घर में सुख शांति और समृद्धि बढ़ती है और दिवंगत महिलाओं का आशीर्वाद मिलता है। मातृ शक्ति प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन पंचबलि के लिए भोजन अवश्य निकालना चाहिए।
हालांकि पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होता है। इस समय श्राद्ध कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त करना अच्छा माना जाता है। इसलिए अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेना चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण करना चाहिए।
कब है मातृ नवमी
पंचांग के अनुसार अश्विन कृष्ण नवमी 7 अक्टूबर को है। नवमी तिथि की शुरुआत 7 अक्टूबर सुबह 8.08 बजे से हो रही है और यह तिथि 8 अक्टूबर सुबह 10.12 बजे संपन्न हो रही है। इसलिए नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर शनिवार को होगा। इस दिन बुध हस्त नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जो समय को विशेष बना रहा है। इस दिन श्राद्ध के कुतुप मुहूर्त आदि का समय इस तरह है..
कुतुप मूहूर्त: सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक
रौहिण मूहूर्त: दोपहर 12:32 बजे से 01:19 बजे
अपराह्न काल: दोपहर 01:19 बजे से दोपहर 03:41 बजे तक मातृनवमी पर योग
शिव योग: आठ अक्टूबर सुबह 6.03 बजे तक
सिद्ध योगः नौ अक्टूबर सुबह 6.51 बजे तक
मातृ नवमी पूजा विधि
1. मातृ नवमी तिथि के दिन सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर घर के बाहर रंगोली बनाएं।
2. पितरों का श्राद्ध कर्म 12 बजे के आसपास किया जाता है, इसलिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त में श्राद्ध करें।
3. इसके लिए दोपहर के समय कंडा जलाकर सभी परिवार वाले दिवंगत महिलाओं को याद करते हुए घी, खीर-पूड़ी, गुड़ आदि चीजें अर्पित करें।
4. धूप दीप जलाने के बाद पिंडदान करें और हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें।
5. फिर मृत परिजनों को याद करते हुए अपनी भूल के लिए क्षमा मांगे।
6. इसके बाद पंचबलि के लिए भोजन निकालें और घर आई महिला को आदर सत्कार के साथ भोजन कराएं।
7. भोजन कराने के बाद दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
8. दोपहर के समाप्त होने से पहले सभी श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान पूरे कर लें।
1. मात नवमी के दिन तुलसी पूजन अवश्य करना चाहिए।
2. ध्यान रहे कि पितरों से जुड़े कार्यों के लिए तांबे के बर्तन का ही प्रयोग करें।
3. गरीब और जरूरतमंद सुहागिन महिला को सुहाग का सामान जैसे लाल साड़ी, कुमकुम, सिंदूर, चूड़ियां अनाज, जूते चप्पल आदि दान करें।
4. इस दिन घर आए पशु पक्षी, मेहमान, गरीब, भिखारी आदि को बिना अन्न-जल के जाने न दें।
1. भूलकर भी किसी भी महिला का अपमान नहीं करें।
2. इस दिन गृह कलह न करें।
3. चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद, तिल, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसों का साग, चने आदि का सेवन न करें। इससे पितर नाराज होते हैं।
4. इस समय शराब का सेवन न करें।
5. श्राद्ध पक्ष में मांगलिक कार्य वर्जित हैं।
6. झूठ बोलना, ब्याज का धंधा करना भी पितरों को नाराज करता है।