scriptभगवान विष्णु की सूझबुझ ने दी रावण को मात, कुछ ऐसी है देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम की कहानी | Myth behind Vaidyanath jyotirlinga temple in Deoghar | Patrika News
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भगवान विष्णु की सूझबुझ ने दी रावण को मात, कुछ ऐसी है देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम की कहानी

यदि शिवजी लंका में स्थापित हो जाते तो फिर उसका वध करना नामुमकिन था।

Jan 28, 2018 / 12:46 pm

Ravi Gupta

Vaidyanath dham
नई दिल्ली। भगवान शिवजी को देवों के देव माना ना जाता है। हम सभी जानते हैं कि शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के देवघर में स्थित है।माना जाता है कि ये स्थान देवताओं का घर है और इसी वजह से इसे देवघर के नाम से बुलाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के देवघर में स्थित होने के पीछे रावण से जुड़ी एक रोचक कहानी है। तो चलिए आज हम वैद्यनाथ धाम के इस ज्योतिर्लिंग के बारे में प्रचलित इस तथ्य को बताते हैं।
दरअसल शिव पुराण में इस बात का जिक्र है कि रावण, भोलेनाथ का बह़त बड़ा भक्त था। उन्होनें भगवान शिव की कठिन तपस्या की और एक-एक करके अपने मस्तक शिवजी को अर्पित किए। उनकी इस तपस्या से शिवजी बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें फिर से दशानन होने का आर्शीवाद दिया।
Jyotirlinga
रावण ने महादेव से वरदान के रूप में उन्हें अपने साथ लंका चलने को क हा,शिवजी रावण के इस बात को इंकार न कर सकें और वो लंका जाने को राज़ी हो गए लेकिन,उन्होंने अपने इस बात के लिए रावण के सामने एक शर्त रखी और शर्त ये थी कि यदि रावण भगवान के स्वरूप वैद्यनाथ शिवलिंग को रास्ते में कहीं भी जमीन पर रख देता है तो भगवान शिव उसी स्थान पर स्थापित हो जाएंगे। देवताओं को रावण की ये बात रास नहीं आई क्योंकि यदि शिवजी लंका में स्थापित हो जाते तो फिर उसका वध करना नामुमकिन था। सभी देवतागण काफी चिन्तित दशा में भगवान विष्णु के पास इस समस्या के हल के लिए गए।
Vaidyanath dham
भगवान विष्णु एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और रावण के समक्ष प्र्रस्तुत हुए,ठीक उसी वक्त वरूण देव रावण के पेट में प्रवेश किया फलस्वरूप रावण को तीव्रता से लघुशंका लगी। इस स्थिति में रावण ने अपने हाथ में स्थित शिवलिंग को ब्राह्मण को पकडऩे दिया और ये निर्देश दिया कि वो भूलकर भी शिवलिंग को ज़मीन पर न रखें लेकिन ब्राह्मण ने रावण के जाते ही शिवलिंग को ज़मीन पर रख दिया और वो वहीं स्थापित हो गया। लेकिन यहां लोग दशहरे के पर्व पर रावण का दहन नहीं करते क्योंकि वो भोलेनाथ के परम भक्त थे और इसी के चलते इस पर्व पर शिवजी के साथ रावण को पूजा जाता है। इस मंदिर में प्रवेश के चार द्वार है जो कि धर्म, अर्थ, कर्म और मोक्ष को दर्शाते हैं। ये ज्योतिर्लिंग काफी प्रसिद्ध है और साल भर भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।

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