scriptबेहद खास है वैशाख शुक्ल एकादशी, आज भगवान शिव और विष्णु दोनों की होगी पूजा, भक्तों को मिलेगा कई गुना अधिक फल | Mohini Ekadashi 2023 Monday day special for Lord Vishnu worship with S | Patrika News
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बेहद खास है वैशाख शुक्ल एकादशी, आज भगवान शिव और विष्णु दोनों की होगी पूजा, भक्तों को मिलेगा कई गुना अधिक फल

वैशाख शुक्ल एकादशी यानी मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2023 ) इस साल बेहद खास है, क्योंकि इस विशेष अवसर के कारण आज भगवान शिव और श्रीहरि दोनों की पूजा होगी। दोनों एक दूसरे को आराध्य भी मानते हैं, इसलिए मोहिनी एकादशी विशेष फलदायी हो गई है।

Apr 30, 2023 / 08:49 pm

Pravin Pandey

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lord vishnu and lord shiva puja

दरअसल, एकादशी व्रत भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत रखकर भक्त उनकी पूजा करते हैं। वैशाख शुक्ल एकादशी, जिसे मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना से सुख समृद्धि प्राप्त होती है। मृत्यु के बाद भक्त को बैकुंठ लोक प्राप्त होता है। लेकिन साल 2023 की मोहिनी एकादशी एक वजह से बेहद खास हो गई है तो आइये जानते हैं मोहिनी एकादशी व्रत के खास होने का कारण।
मोहिनी एकादशी के खास होने का कारणः बता दें कि जिस तरह एकादशी भगवान विष्णु की पूजा का दिन है, उसी तरह सोमवार भगवान शंकर की पूजा और उपवास का दिन है। वैशाख शुक्ल एकादशी यानी मोहिनी एकादशी सोमवार को ही पड़ रही है। यानी इस दिन भक्त भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की भी उपासना करेंगे। साथ ही दोनों एक दूसरे को आराध्य मानते हैं, ऐसे में एक दूसरे की पूजा से प्रसन्न होकर भक्तों को कई गुना अधिक फल देंगे।

भस्मासुर से भी जुड़ी है कथाः बता दें कि आज भगवान विष्णु के जिस स्वरूप की पूजा होती है, उसी रूप में भगवान विष्णु ने एक बार भगवान शिव को भस्मासुर से बचाने की लीला की थी। इससे यह सोमवार विशेष हो गया है।

कथा के अनुसार एक बार भस्मासुर नाम के दानव ने शिवजी की कठोर तपस्या की और उनसे ऐसा वरदान पा लिया कि वह जिस किसी के सिर पर अपना हाथ रखे वह भस्म हो जाए। इसके बाद अपने वरदान का असर जानने के लिए वह भगवान शिव के ही पीछे दौड़ने लगा, भगवान भी उसके संग लीला करने लगे। इस बीच अपने आराध्य भोलेनाथ की लीला में साथ देने और उनको मुसीबत से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और भस्मासुर को मोहित कर नृत्य के बहाने उसके ही सिर पर उसका हाथ रखवा दिया। इससे वह असुर स्वयं ही भस्म हो गया।

Mohini Ekadashi 2023: मोहिनी एकादशी व्रत 1 मई को पड़ रहा है। दृक पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत 30 अप्रैल रात 8.28 बजे से हो रही है और यह तिथि संपन्न एक मई रात 10.09 बजे हो रही है। इसलिए उदया तिथि में मोहिनी एकादशी व्रत 1 मई को रहेगा।

मोहिनी एकादशी पारण का समयः एकादशी का पारण 2 मई को सुबह 5.47 एएम से 8.23 एएम के बीच होगा।

मोहिनी एकादशी के दिन बन रहे शुभ योगः मोहिनी एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है। यह बेहद शुभ योग माना जाता है, इसका समय 5.47 एएम से 5.51 पीएम तक है। इस योग में किए जाने वाले कार्यों में सफलता मिलती है। इसके अलावा इस दिन इस तरह कुछ और शुभ योग बन रहे हैं।
अभिजित मुहूर्तः 11.52 एएम से 12.44 पीएम तक
अमृतकालः 10.50 एएम से 12.35 पीएम तक

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मोहिनी एकादशी का महत्व (mohini ekadashi katha): मोहिनी एकादशी को लेकर दो कथाएं आमतौर पर प्रचलित हैं। एक के अनुसार सागर मंथन के बाद जब अमृत निकला तो उसे पीकर अमर होने के लिए देवताओं और दानवों में तनातनी हो गई। युद्ध जैसी नौबत देखकर वैशाख शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और अपने मोहजाल में फंसाकर देवताओं को अमृत और दानवों को मदिरा बांटा, क्योंकि असुर प्रवृत्तियों के अमर होने से सृष्टि को खतरा था।

वहीं एक अन्य कथा के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम पत्नी वियोग में दुखी हो गए तो महर्षि वशिष्ठ ने मोहिनी एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। इस पर भगवान श्रीराम के दुखों का नाश हुआ, और माता सीता की खोज बेहतर ढंग से कर पाए। इससे यह एकादशी अनजाने में हुए पापों का प्रायश्चित करने वाली भी मानी जाने लगी। शिव को भस्मासुर से बचाने की लीला भी मोहिनी अवतार से ही संबंधित है।
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मोहिनी एकादशी पूजा विधि (mohini ekadashi katha)
1. मोहिनी एकादशी के दिन दूसरे एकादशी की तरह ही सुबह जल्दी उठें, स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. मंदिर में या घर में ही भगवान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर विधि विधान से पूजा करें। साथ ही भगवान शिव की भी पूजा करें।
3. भगवान विष्णु को रोली, मौली, पीला अक्षत, चंदन, ऋतु फल, पीला पुष्प, मिष्ठान अर्पित करें।

4. धूप, दीप से भगवान विष्णु की आरती करें और दीपदान करें।
5. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
6. कपट, दुर्गुणों से खुद को दूर रखते हुए नारायण का ध्यान करें।
7. आम, खरबूजा, ककड़ी जैसी शीतल चीजें दान करें।
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