सत्यनारायण पूजा का समयः 26 दिसंबर मंगलवार सुबह 09.46 बजे से दोपहर 01.39 बजे तक
मार्गशीर्ष पूर्णिमा चंद्रोदय समयः 26 दिसंबर मंगलवार शाम 04.45 बजे
मार्गशीर्ष पूर्णिमा लक्ष्मी पूजा मुहूर्तः 26 दिसंबर मंगलवार रात 11.54 बजे से देर रात 12.49 बजे तक (यानी 27 दिसंबर को)
1. मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर श्री सत्यनारायण कथा पढ़ने और सुनने का खास महत्व है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा कर कथा सुनने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा। साथ ही सुख समृद्धि प्राप्त होगी।
2. प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार इस दिन पीपल का पौधा रोपना शुभ होता है। साथ ही सूर्योदय के बाद पानी में दूध और तिल डालकर पीपल को पानी देना चाहिए। साथ ही सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। इससे घर में सुख शांति बनी रहेगी। धन की भी प्राप्ति होती है।
3. कुछ विद्वानों की मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर चांदी या सोने का सिक्का घर लाना बेहद शुभ होता है। मान्यता है कि इस उपाय से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आपके घर में वास करने लगती हैं।
4. आप कोई काम करते हैं और उसमें सफलता नहीं मिल रही है तो पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के बाद कच्चे दूध में चावल और चीनी डालकर अर्घ्य दें। इससे चंद्र दोष दूर होगा, साथ ही आपको जीवन में सफलता मिलने लगेगी।
5. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें खीर का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि इससे जगत पालक प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की हर तकलीफ को दूर करते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
1. मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सुबह स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लें और सूर्य देवता को मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य दें।
2. पूर्णिमा तिथि पर काले तिल से अपने पितरों का तर्पण करें और फिर हवन करें।
3. घर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा कर सत्यनारायण की कथा का पाठ करें या कथा का श्रवण करें। प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही स्थान छोड़ें।
4. मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत करने वालों इस दिन कुछ ब्राह्मणों को भोजन कराना विशेष शुभ होता है और हो सके तो जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र का दान करें।
5. पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय होने पर कच्चा दूध में चावल और चीनी डालकर अर्घ्य दें, निशिता काल मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करें।
6. पूर्णिमा के व्रत में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन भोजन केवल एक समय ही करें।
सूर्य पूजा: ऊं घृणि सूर्याय नम:
चंद्रमा पूजा: ऊँ सों सोमाय नम:
लक्ष्मी पूजा: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
विष्णु पूजा: ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय