इस दौरान जंगल की झाड़ियों के कांटे उसके पैरों में चुभते रहे और अपने भाई के घर जैसे तैसे पहुंची और भाई का मुंह देख कर बैठ गई। उसका यह हाल देखकर लड़की की भाभी ने पूछा कि पैरों में क्या हुआ है। इस पर उसने भाभी से कहा कि रास्ते में जंगल की झाड़ियों से गिरे हुए कांटे पांव में चुभ गए हैं। जब वह वापस घर आने लगी तब भाभी ने अपने पति से कहा कि उस रास्ते को साफ करा दीजिए। और कारण जानकर लड़की के भाई ने कुल्हाड़ी से झाड़ियों को काटकर रास्ता साफ कर दिया। इस काम में गणेशजी का स्थान भी वहां से हट गया। इससे गणपति के नाराज होने से उसके भाई के प्राण निकल गए।
जब लोग अंतिम संस्कार के लिए लड़की के भाई को ले जा रहे थे, तब भाभी रोते हुए कहने लगी कि थोड़ी देर रूक जाओ, उसकी ननद आने वाली है। वह अपने भाई का मुंह देखे बिना नहीं रह सकती है। उसका यह नियम है। यह सुनकर लोगों ने सवाल किया कि आज तो मुंह देख लेगी पर कल से कैसे देखेगी। इधर, रोजाना की तरह बहन अपने भाई का मुंह देखने के लिए जंगल में निकली तो उसने देखा कि सारा रास्ता साफ किया गया है। जब वह आगे बढ़ी तो उसने देखा कि सिद्धिविनायक को भी वहां से हटा दिया गया हैं। इस पर उसने भाई के पास जाने से पहले गणेशजी को एक अच्छे स्थान पर रखकर उन्हें फिर से स्थान दिया और हाथ जोड़कर बोली भगवान मेरे जैसा अच्छा सुहाग और मेरे जैसा अच्छा पीहर सबको देना और यह बोलकर वह आगे निकल गई।
तब भगवान सिद्धिविनायक ने उसे आवाज लगाई और कहा कि बेटी इस खेजड़ी की सात पत्तियां लेकर जा और उसे कच्चे दूध में घोलकर भाई के ऊपर छींटें मार देना, वह जीवित हो जाएगा। आवाज सुनकर लड़की पीछे मुड़ी लेकिन वहां कोई नहीं था। फिर भी उसने सोचा कि ठीक है, जैसा सुना वैसा कर लेती हूं। वह 7 खेजड़ी की पत्तियां लेकर अपने भाई के घर पहुंची तो देखा कि वहां कई लोग बैठे हुए हैं, भाभी बैठी रो रही है और भाई की लाश रखी है। तब उसने उन पत्तियों को बताए हुए नियम से भाई के ऊपर इस्तेमाल किया। उसका भाई फिर से जीवित हो गया।