जबलपुर. पुरी की तरह संस्कारधानी में भी द्वारकाधीश जगन्नाथ भगवान साल में एक बार अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं। बैण्डबाजों और ढोल नगाड़ों के साथ भक्त जगत के नाथ स्वामी जगन्नाथ के रथ को खींचते हैं। उनके महाप्रसाद भात के लिए अपने हाथ पसारते हैं। यह रथ 250 वर्ष पुराना है।
शहर के जगन्नाथ मंदिरों में तैयारियां जोरों पर रथ यात्रा की परम्परा पुरानी है, लेकिन पुरी की तर्ज पर इसका आयोजन शहर का वात्री साहू समाज 135 वर्ष से करते आ रहा है। अलग-अलग स्थानों में स्थित जगदीश मंदिरों से आकर भगवान की रथयात्राएं बड़े फुहारा में एकत्रित होती हैं। खास बात यह है कि संतजन द्वारा सोने की झाड़ू से रास्ता बुहारकर रथयात्रा का श्रीगणेश किया जाता है। यह यात्रा सात जुलाई को निकाली जाएगी। इसमें 11 संस्थाओं के रथ और झांकियां शामिल होंगी।
शंखों की ध्वनि के साथ किया जाएगा शुभारंभ कई संकीर्तन मंडलियां रथयात्रा में शामिल होंगी। श्री सनातन धर्म महासभा के शरद काबरा ने बताया, संस्कारधानी की रथयात्रा में 11 रथों का संगम होगा, सभी रथ बड़ा फुहारा में एकत्र होकर एक साथ निकलेंगे। जिसमें श्रद्धालु भगवान का दर्शन करेंगे। जगदीश मंदिर गढ़ाफाटक में 7 जुलाई को दोपहर शंखों के शंखनाद के साथ भगवान की रथयात्रा प्रारंभ होगी। रथयात्रा में इस्कान मंदिर के सैकड़ों साधक संकीर्तन करते हुए चलेंगे। जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ की परम्परा के साथ प्रसाद प्राप्त करने के लिए सडक़ों पर आस्था उमड़ेगी।
यहां से रथ यात्राएं ●करमचंद चौक स्थित सिटी बंगाली क्लब से वर्ष 1967 से रथ यात्रा निकाली जा रही है। ●खमरिया क्षेत्र स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में वर्ष 2018 से भक्त रथ यात्रा निकालते आ रहे हैं। ●हनुमानताल स्थित जगदीश मंदिर से 124 साल से रथ यात्रा निकाली जा रही है। ●वात्री साहू समाज के तत्वावधान में श्री जगदीश स्वामी कर्मा माई शंकर भगवान मंदिर ट्रस्ट लार्डगंज द्वारा 134 वर्ष से यात्रा निकल रही है। ●गढ़ाफाटक में स्थित भगवान जगदीश मंदिर से 157 साल से रथ यात्रा निकाली जा रही है। भगवान को एक क्विंटल भात का प्रसाद अर्पण किया जाता है। ●चौरसिया समाज व जगन्नाथ स्वामी रथयात्रा समिति दीक्षितपुरा की ओर से रथयात्राएं निकाली जाती हैं।