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Heramb Sankashti Chaturthi 2023: सर्वार्थ सिद्धि योग में आज हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत, गणेशजी के इन तीन मंत्रों का जाप बदल देगी किस्मत

भाद्रपद महीने की संकष्टी चतुर्थी हेरंब संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। इसमें भगवान के हेरंब स्वरूप की पूजा होती है। इस चतुर्थी व्रत के प्रभाव से प्रसन्न होकर गणेशजी सभी मनोकामना की पूर्ति करते हैं। इस दिन बहुला चौथ का भी व्रत रखा जाता है। इस साल खास यह है कि हेरंब चतुर्थी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा, जिसके कारण मनोकामना की पूर्ति और हर काम में सफलता मिलती है। हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर गणेशजी के तीन शक्तिशाली मंत्रों का जाप हर संकट से मुक्ति दिलाता है, आइये जानते हैं क्या हैं वे शक्तिशाली मंत्र

Sep 03, 2023 / 12:31 pm

Pravin Pandey

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हेरंब गणपति की पूजा के लिए मंत्र

कब है हेरंब संकष्टी चतुर्थी
भाद्रपद की संकष्टी चतुर्थी को हेरंब संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि की शुरुआत 2 सितंबर को देर रात 12 बजे के बाद हो रही है यानी यह तिथि 3 सितंबर को सुबह 00.19 बजे से लगेगी और तीन सितंबर को ही रात 9.54 बजे संपन्न हो रही है। इस दिन चंद्रोदय रात 8.58 बजे होगा। चंद्र व्यापिनी तिथि अनुसार 3 सितंबर को यह व्रत रखा जाएगा। इस दिन रात में गणेशजी की पूजा के बाद और कच्चे दूध, पानी, अक्षत, सफेद फूल से चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत कंपलीट होगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग
पंचांग के अनुसार हेरंब संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस दिन सुबह 10 बजकर 38 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहा है और यह योग 4 सितंबर को सुबह 06 बजे तक है। इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे, गणेशजी की कृपा से उसमें सफलता की संभावना अधिक रहेगी।

महर्षि योगी आश्रम प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार जो लोग हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेंगे, उन्हें सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। वैसे इस दिन सुबह पूजा का शुभ उत्तम मुहूर्त सुबह 07:35 बजे से 09:10 बजे तक और दोपहर में 12:21 बजे से शाम 05:07 बजे के बीच है। इस दिन पंचक भी सुबह 06:00 बजे से सुबह 10:38 बजे तक है, हालांकि पूजा पाठ और व्रत में पंचक से कोई दिक्कत नहीं होती।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश के हेरंब स्वरूप की पूजा की जाती है। भगवान इस स्वरूप में पांच मुख और दस भुजाओं वाले हैं, जो भक्त इनकी पूजा करता है, गणेशजी उसका संकट हर लेते हैं और मनोकामना की पूर्ति करते हैं। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है।

1. वक्रतुंड गणेश मंत्र (Vakratund Ganesh Mantra)
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

2. गणेश शुभ लाभ मंत्र (Ganesha Shubh Labh Mantra)
ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
3. गणेश गायत्री मंत्र (Ganesha Gayatri Mantra)
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

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हेरंब संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Heramb Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)


1. सुबह स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में गणपति बप्पा की स्थापना करें और फिर उनकी पूजा करें।
2. लाल गेंदे का फूल, जनेऊ, अक्षत, हल्दी, पान, सुपारी, नारियल, दूर्वा, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य भगवान गणेश को चढ़ाएं।
3. पूजा के दौरान ओम गं गणपतये नमो नम: मंत्र का उच्चारण करें।
4. भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।

5. पूजा के समय हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा सुनें।
5. घी के दीपक से आरती करें, गणेश चालीसा का पाठ करें।
6. रात के समय फिर गणेशजी की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
7. इसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करें।

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