ब्रह्म योगः गुरु पूर्णिमा ब्रह्म योग में मनेगी, यह योग दोपहर 3.45 बजे तक है।
इंद्र योगः यह योग गुरु पूर्णिमा के अगले दिन चार जुलाई सुबह 11.50 तक है। आषाढ़ पूर्णिमा/ पर प्रमुख मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.16 से 1.09 बजे तक
विजय मुहूर्त दोपहर 2.55 बजे से 3.48 बजे तक
गुरु पूर्णिमा का महत्व
आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं। इस दिन ही महाभारत के रचयिता वेदव्यास की जयंती भी है। भगवान गौतम बुद्ध के सम्मान में बौद्ध इस दिन उत्सव मनाते हैं। बौद्ध समुदाय के लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ में पहला उपदेश दिया था।
गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन गाय की पूजा, गोसेवा, गोदान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी के साथ ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को आरोग्य की भी प्राप्ति होती है। यह भी मान्यता है कि गुरु की पूजा करने से कुंडली में गुरु ग्रह संबंधित दोष भी दूर होते हैं।
ऐसे करें पूजा
1. गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें ( संभव है तो गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करें) ।
2. इसके बाद घर के पूजा घर में गुरु की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाएं।
3. इस दिन गुरु के घर जाकर उनकी पूजा भी करनी चाहिए और आशीर्वाद लेना चाहिए।
4. ऐसे लोग जिनके गुरु ने संसार त्याग दिया है, उन्हें गुरु की चरण पादुका की पूजा करनी चाहिए।
1. गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥
2. गुरुः ब्रह्मा, गुरुः विष्णुः गुरुः देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः ॥