इसलिए लगाई जाती है गांठ (Gathbandhan kyon kiya jata hai)
सनातन धर्म में निभाई जाने वाली रस्मों का खास महत्व माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक अगर शादी की इन रस्मों को ठीक से न निभाया जाए तो, आगे चलकर वर-वधु के पारिवारिक जीवन में कई बाधाएं आती हैं। दूल्हा-दुल्हन के बीच लगाए जाने वाले इस गठबंधन (Gathbandhan kyon kiya jata hai) को भी पवित्र बंधन माना गया है। दूल्हे के पटके और दुल्हन की चुनरी के बीच लगी इस गांठ को वैवाहिक प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
इस गांठ (Gathbandhan kyon kiya jata hai) को वर-वधु के शरीर और मन को बांधने का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि ये गांठ जितनी मजबूत होती है, पति-पत्नी का रिश्ता भी उतना ही मजबूत रहने वाला होगा। वर-वधु के बीच इस गठबंधन (Gathbandhan kyon kiya jata hai) का काम दुल्हन की बहन यानी दुल्हन की होने वाली ननद करती है। यह गांठ दूल्हा और दुल्हन के बीच का रिश्ता ही नहीं दर्शाती, बल्कि यह बताती है कि अब दो परिवार भी आपस में जुडऩे जा रहे हैं।
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एक प्रतिज्ञा भी है ये गांठ (Gathbandhan kyon kiya jata hai)
यह गांठ ईश्वर के समक्ष एक तरह की प्रतिज्ञा भी मानी गई है (Gathbandhan kyon kiya jata hai) कि वर और वधु दोनों एक दूसरे के प्रति निष्ठावान रहेंगे। यह गांठ बताती है कि वर-वधु अब भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक रूप से एक हो रहे हैं।
इसमें बांधा जाता है सिक्का, चावल आदि (Gathbandhan kyon kiya jata hai)
इस गांठ (Gathbandhan kyon kiya jata hai) में सिक्का, चावल, दूर्वा और फूल जैसी चीजें बांधी जाती हैं। इसका अर्थ होता है कि पति और पत्नी का धन-धान्य सब पर समान अधिकार होगा। दोनों अपने जीवन के सुख को साथ भोगेंगे।