धिक्कार है ऐसे लोगों के जीवन पर जो जानते हुए भी… : महाकवि कालिदास
सूफी फकीर शाहशरफ ने पूछा, ‘आप की जाति क्या है, आप का मत क्या है, गुजर कैसे होती है? इस पर गुरु नानक देव जी बोले, ‘मेरा मत है सत्यमार्ग, मेरी जाति वही है जो अग्नि और वायु की है, जो शत्रु-मित्र को एक समान समझती है। मेरा जीवन वृक्ष और धरती की तरह है। नदी की तरह मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि मुझ पर कोई धूल फेंकता है या फूल और मैं जीवित उसी को समझता हूं, जिसका जीवन चंदन के समान दूसरों के लिए घिसता हुआ संसार में अपनी सुगंध फैला रहा है।
अपने अंहकार कि चिता जलाने वाला कभी मरता नहीं, मोक्ष प्राप्त कर लेता है- गुरु नानक देव
यह सुन कर शाहशरफ ने कहा- दरवेश कौन है? नानक ने कहा, ‘जो जिंदा ही मरे की तरह अविचल रहे। जागते हुए सोता रहे, जान बूझकर अपने आप को लुटाता रहे। जो क्रोध में न आए, अभिमान न करे। न स्वयं दुखी हो, न किसी को दुख दे। जो हमेशा ईश्वर में मग्न रहे और वही सुने जो उसके अंदर से ईश्वर बोलता है और उसी अंतर्यामी परमात्मा को हर व्यक्ति, हर स्थान में देखे। यह सुनकर शाहशरफ काफी प्रसन्न हुए।
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