केदारनाथ के पीछे है आदि शंकराचार्य की समाधि, जानें खास बातें
25 अप्रैल को केदारनाथ रावल परिसर से केदारनाथ मंदिर पहुंच गए। अब भक्त यहां केदारनाथ का दर्शन कर सकेंगे, आज ही आदि शंकराचार्य की जयंती है, जिन्होंने ईसा पूर्व केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, जिनकी समाधि मंदिर परिसर के ही पीछे है तो आइये जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें… बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार अद्वैत दर्शन के प्रवर्तक आदि शंकराचार्य की स्मृतियों को संजोने के लिए अद्वैतलोक (Adwaitlok) का निर्माण करा रही है।
Adi Shankarachary Samadhi: केदारनाथ मंदिर के थोड़ा पीछे ही आदि शंकराचार्य की समाधि है। मान्यता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने ही भारत में चार धामों की स्थापना कर हिंदू धर्म के मानने वालों को एकता के सूत्र में बांधा था। इनको केदारनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का भी श्रेय दिया जाता है। ये तीर्थ हिंदुओं के लिए काफी अहम है, मान्यता है कि शंकराचार्य यहां खुद ही धरती में समा गए थे। ये भी मान्यता है कि यहां आदि शंकराचार्य ने अपने अनुयायियों के लिए गर्म पानी का कुंड बनवाया था, ताकि वे सर्द मौसम से खुद का बचाव कर सकें।
केदारनाथ त्रासदी में बह गया था समाधि स्थलः आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कालपी में हुआ था, इन्होंने आठ साल की उम्र में सभी धर्म ग्रंथों का ज्ञान हासिल कर संन्यास ले लिया था। बाद में इन्होंने सनातन धर्म की पुनःस्थापना की, कुरीतियों को भी दूर किया, केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, चार पीठों की स्थापना कराई, कई ग्रंथों पर भाष्य, टीका लिखी और भारत में अद्वैत वेदांत का प्रचार किया। स्मार्त संप्रदाय के लोग इन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं।
कहा जाता है कि जब उनका धरती पर आने का उद्देश्य पूरा हो गया तो 32 वर्ष की उम्र में केदारनाथ पहुंचे और मंदिर में भगवान शंकर से बात की, उनसे देह त्यागने की अनुमति लेकर बाहर आए और एक जगह शिष्यों को रोका और कहा पीछे मुड़कर न देखना। मान्यता है कि इसके बाद अंतर्धान हो गए।
पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था उद्घाटनः उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ मंदिर परिसर में पांच नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दौरा किया और यहां श्री आदि शंकराचार्य अंतिम विश्राम स्थल का उद्घाटन किया।