मंदिर में प्रथम पूज्य श्रीगणेश, महालक्ष्मी और मां सरस्वती सहित परिसर में विराजित अष्ट महालक्ष्मी नारायण को केसरिया वस्त्र धारण करवाए गए। मंदिर 10, 20, 50, 100, 500 और 2000 रुपए नोटों की लडिय़ों से पट गया, धन की देवी मां लक्ष्मी को डायमंड हार, रत्न-मोती, मंगलसूत्र, चुडिय़ा, अंगुठी, पायल, मुकूट आदि सोने-चांदी के आभूषणों से शृंगार किया गया। कई व्यवसायी भक्त तिजोरियां तक ले आए, मां का दमकता शृंगार देख भक्तों की आंखें नहीं टिक रही थी। धनतेरस को मंदिर के पट खुलते ही माता के शृंगार दर्शन वंदन और परम्परागत कुबेर पोटली लेने के लिए भक्त पहुंचेगे।
मंदिर के संजय पुजारी ने बताया कि धनतेरस को ब्रह्ममुहूर्त में शृंगार दर्शन के लिए माता के पट खोल दिए जाएंगे। भक्तों के दर्शनार्थ माता का शृंगार धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दिपावली, पड़वी के बाद भाईदूज तक रहेगा। इसके बाद भक्तों को शृंगार सामग्री पुन: लोटाई जाएगी। नोटों की गिनती कर रजिस्ट्रर में नाम-पता-मोबाइल नंबर दर्ज कर श्रद्धालुओं को टोकन रणजीतसिंह सोलंकी और मणिलाल सकलेचा द्वारा दिए जा रहे थे। महालक्ष्मी का शृंगार लव डोडिया और आकाश पुजारी द्वारा किया गया।
महालक्ष्मी का शृंगार- शाम 4 बजे से रात्रि 11 बजे तक।
नोट- 10, 20, 50, 100, 200, 500, 2000 के नोटों से शृंंगार।
आभूषण-मंगलसूत्र, चुडिय़ा, अंगुठी, पायल, मुकूट, डायमंड हार, रत्न-मोती, मोती माला आदि सोने-चांदी के आभूषण।