– हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। – प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय।
– संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें।
– इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं।
– इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं।
– दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं।
– सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें।
– शिवजी को वस्त्र अर्पित करें।
– अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें।
– इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें।
– अब भगवान की परिक्रमा करें।
– रात को जागरण करें।
– सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं।
– फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं।
– भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें।
– सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।
तृतीया तिथि: 01 सितंबर 2019 को सुबह 08 बजकर 27 मिनट से।
तृतीया तिथि समाप्त: 02 सितंबर 2019 को सुबह 4 बजकर 57 मिनट तक।
युबह हरतालिका पूजा मुहूत: सुबह 08 बजकर 27 मिनट से सुबह 08 बजकर 35 मिनट तक।
– कई बार महिलाएं इसे भूल जाती हैं। जिसे व्रत करने के बाद भी उसका फल नहीं मिल पाता है।
– तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए। अपने गुस्से को शांत रखने के लिए महिलाएं अपने हाथों पर मेंहदी लगाती हैं। जिससे मन शांत रहता है।
– मान्यता है कि व्रत रखने वाली महिलाओं को रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जगकर महिलाओं के साथ मिलकर भजन कीर्तन करना चाहिए।
– अगर कोई महिला रात की नींद लेती है तो ऐसी मान्यता है कि वह अगले जन्म अजगर का जन्म लेती है।
– इस दिन घर के बुजुर्गों को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और उन्हें दुखी नहीं करना चाहिए।
– ऐसा करने वाले लोगों को अशुभ फल मिलता है।
– निर्जला व्रत के दौरान अगर कोई महिला रात में दूध पी लेती है तो पुराणों के अनुसार अगला जन्म उसका सर्प का होता है।