रेलवे ने 2008 में चित्तौडग़ढ़-नीमच-रतलाम रेल लाइन में आमान परिवर्तन मंजूर किया था। बाद में इसके लिए राशि की मंजूरी हुई। तब से अब तक रेलवे ने महू से लेकर इंदौर व रतलाम से लेकर चित्तौडग़ढ़ तक डीजल इंजन से ङ्क्षसगल लाइन के ट्रैक पर ट्रेन चला दी।
असल में रेलवे ने विद्यु़तिकरण कार्य को तेज करने पर तो जोर दिया, लेकिन डबलीकरण कार्य को तेज करना भूल गए। अब स्थिति यह है कि दो चरण में चल रहा यह काम को पूरा करने का लक्ष्य भले 2023 का हो, लेकिन जो गति है उससे यह तय है कि यह 2025 तक पूरा नहीं होगा। इससे ही यात्रियों को बिजली इंजन से ट्रेन चलने से अधिक लाभ नहीं होगा।
योजना अपनी गति अनुसार चल रही है। इसको तय लक्ष्य पर पूरा करने के निर्देश पूर्व से जारी किए गए है। क्राङ्क्षसग में अधिक समय नहीं लगता है। उस समय ठहराव सुरक्षा कारणों से जरूरी है।
– आरएन सुनकर, मंडल रेल प्रबंधक