नवरात्रि के साथ ही प्रदेशभर में गरबा के आयोजन भी शुरु हो गए हैं। नवरात्रि के दौरान दुर्गा-कालीजी की झांकियों के साथ ही गरबा और डांडिया नृत्य भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गए हैं। पंडालों में भक्त गरबा और डांडिया खेलकर नवरात्रि का जश्न मनाते हैं पर पिछले कुछ सालों से यहां मुस्लिम युवकों के लव जिहाद के लिए आने के आरोप लग रहे हैं।
हिंदूवादी संगठनों ने गरबा आयोजकों के लिए कार्यक्रम में एंट्री के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए हैं। गरबा पंडालों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं और पुलिस के अलावा प्राइवेट सुरक्षा कर्मियों को भी तैनात किया जा रहा है। अवैध एंट्री की रोकथाम के लिए अलग-अलग बैरियर बनाए जा रहे हैं।
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गरबा पंडाल में केवल हिंदू युवक ही प्रवेश कर सकें, इसके लिए कई जतन किए जा रहे हैं। इसके लिए कहीं गौ मूत्र छिड़काव की बात कही गई तो कहीं तिलक लगानेवालों को पंडाल में प्रवेश देने की बात कही जा रही है। ऐसे माहौल के बीच रतलाम के शहर काजी ने मुस्लिम समाज के नाम पत्र लिखा है जोकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। शहर काजी अहमद अली ने मुस्लिम युवक युवतियों से साफ कहा है कि वक्त और हालात को देखते हुए वे गरबा पंडालों और नवरात्रि मेले में नहीं जाएं।
रतलाम शहर काजी अहमद अली ने अपने पत्र में लिखा—
“रतलाम की मुस्लिम अवाम से पुरखुलूस गुजारिश है कि मुस्लिम नौजवान, मुस्लिम मां और उम्मत की बहन बेटियां नवरात्रि पर्व पर न ही मेले में जाएं और न ही गरबे देखने जाएं। वक्त और हालत को मद्देनजर रखते हुए अपने घरों में रहे। बाजार और मेलों में घूमना दीन-ए-इस्लाम में जाइज नहीं है। लिहाजा ऐसे गैर दीनी मामलात से सख्ती से बचा जाये.”
रतलाम शहर काजी का यह पत्र चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि इसे नसीहत के रूप में देखा जा रहा है। गरबा को लेकर बिगड़ते माहौल को देखते शहर काजी द्वारा मुस्लिमों को चेतानेवाला यह पत्र सुर्खियों में आ गया है।