Ancestors Are Happy : ज्योतिषी संजय दुबे ने बताया कि पितरों के श्राद्ध के लिए कुछ नियम हैं, जिनका अनुसरण करना जरूरी है। इन नियम का पालन करते हुए श्राद्ध कर्म किया जाए तो पूर्वज प्रसन्न होते है। कई बार अनेक लोगों को अपने पूर्वज या पितर की तिथि ठीक से याद नहीं रहती, जब इस प्रकार के अवसर हो तो ये बेहतर है कि तांबे के कलश में जल लेकर काले तिल डालकर पीपल में पूर्वज व पितर के नाम दिया जाए। इससे भी पूर्वज प्रसन्न होते है।
Do Not Forget To Do This Work In Shraddh – पुराण अनुसार देश में अलग मान्यताएं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितर लोक का स्थान दक्षिण दिशा में होता है। इस वजह से पूरा श्राद्ध कर्म करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
These Are Important Dates Of Shraddha श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां 13 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
14 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध
15 सितंबर- द्वितीय श्राद्ध
17 सितंबर- तृतीया श्राद्ध
18 सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध
19 सितंबर- पंचमी श्राद्ध
20 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध
21 सितंबर- सप्तमी श्राद्ध
22 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध
23 सितंबर- नवमी श्राद्ध
24 सितंबर- दशमी श्राद्ध
25 सितंबर- एकादशी श्राद्ध/द्वादशी श्राद्ध/वैष्णव जनों का श्राद्ध
26 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध
27 सितंबर- चतुर्दशी श्राद्ध
28 सितंबर- अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात तिथि पितृ श्राद्ध, पितृविसर्जन महालय समाप्ति