When will Navratri 2019 start? : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि नवरात्रि का त्यौहार मध्यप्रदेश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन दिनों में भक्त व्रत उपवास आदि रखकर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो रहा है। नवरात्र में नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। साथ ही कई भक्त इन नौ दिन उपवास या फलाहार करते हैं। कन्या पूजन के बाद अनेक घर में कन्या भोजन के बाद व्रत या उपवास खोला जाता है।
कलश स्थापना की विधि
Method Of Installing The Urn : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि इस दिन तड़के अपने घर के साथ पूजन कक्ष की साफ-सफाई करनी चाहिए। इसके बाद स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहने और फिर कलश स्थापना की तैयारी करें। सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी बनाकर लकड़ी के पाट पर मिट्टी डलकर जौ को बोया जाता है और फिर कलश की स्थापना की जाती है। कलश में गंगा जल रखें के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलता रहे।
This is the Material For Installing The Urn – शुद्ध जल से भरा हुआ मिट्टी, सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कलश ।
– कलावा, अशोक या आम के 5 पत्ते, साबुत चावल,
– पानी वाला एक नारियल, पूजा सुपारी कलश में डालने के लिए एक सिक्का, कलश के लिए छोटी सी फूल की माला ।
Material For Installation Of Akhand Deepak
– मिट्टी, पीतल या चांदी का बड़ा सा दीपक
– गाय का शुद्ध घी
– बत्ती के लिए रूई या लाल सूति कलावा MUST READ : Navratri 2019: पूजा विधि, कलश स्थापना समय, शुभ मुहूर्त, सामग्री, यहां पढ़ें पूरी खबर
Method Of Establishing Navratri Kalash : ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि कलश स्थापना के लिए सबसे पहले घर के पूजा स्थल को अच्छे से शुद्ध करके एक चांदी या लकड़ी की चौकी या पटा पर लाल कपडा बिछाकर माता की मूर्ति या फोटों को स्थापित करें। इसके बाद चौकी की दाहिने तरफ चावल छोटी सी ढेरी लगाकर लकड़ी की चौकी पर कलश को स्थापित करें, कलश में गंगाजल मिला शुद्धजल, थोड़े से चावल, एक पूजा सुपारी और एक सिक्का डालकर 5 आम के पत्ते लगाकर नारियल को रख दें नीचे दिये मंत्र को उच्चारण करते हुए कलश का पूजन कर स्थापित करें ।
मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता: ।।
कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा ।
ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामगानां अथर्वणा: ।।
अङेश्च सहितासर्वे कलशन्तु समाश्रिता: ।।
Mantra To Burn Akhand Deepak : दीपक या दीया वह पात्र है, जिसमें मिट्टी का दीपक, सूत की बाती और तेल या गाय का घी रख कर ज्योति जलाई जाती है। इसके लिए मंत्र जप करना चाहिए।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते ।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां ।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति। । ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि नवरात्र में दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखकर अखंड जलाने से आयु में वृद्धि होती है। दीपक की लौ दिशा की ओर रखने से धन लाभ होता है। दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें, ऐसा करने से जन या धनहानि होती है।