MP News: राज्य सरकार ने 2024-25 के बजट में प्राथमिक, माध्यमिक और अन्य श्रेणी के सरकारी स्कूल के उन्नयन के लिए राशि देने की घोषणा की है। सरकार के इस कदम से स्कूल तो बेहतर हो जाएंगे, लेकिन इनमें पढ़ाने वाले कहां से आएंगे ? ये ऐसा सवाल है, जिसका जवाब बजट में नहीं है, क्योंकि अभी भी मध्यप्रदेश में 1286 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है।
ये भी कहा जा सकता है कि ये स्कूल बगैर स्थायी शिक्षक के चल रहे हैं। इस सूची में अव्वल हैं, सिंगरौली के 115, रीवा के 85, देवास में 80 और रतलाम के 21 स्कूल। अधिकांश आदिवासी क्षेत्र के गांवों में हैं। इसी कारण यदि यहां किसी को पदस्थ भी किया जाता है, तो कोई आना नहीं चाहता है। दूसरी विसंगति ये भी है कि राज्य कई सरप्लस शिक्षक वाले स्कूल चल रहे हैं। यहां सरप्लस शिक्षकों की संख्या 20 हजार से अधिक है। ऐसे ज्यादातर स्कूल शहरों में चल रहे हैं।
जहां शिक्षक नहीं है, वहां अतिथि शिक्षक को नियुक्त कर पढ़ाई करवाई जा रही है। जहां तक सरप्लस शिक्षक का मामला है, यह पूर्व में सही कर दिया था। कुछ रह गया, तो सही किया जाएगा।– केसी शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी
भेदभाव न किया जाए
मप्र शिक्षक कांग्रेस अध्यक्ष सर्वेश माथुर से बताया, राज्य में अधिकांश महानगर और बडे़ शहर में सरप्लस शिक्षक हैं। शहरी सुविधा मिलती रहे, इसलिए इनके अंचल में तबादले नहीं होते हैं। अतिथि शिक्षक की परंपरा समाप्त कर सभी को नियमित किया जाए। सरप्लस शिक्षक को वहां पदस्थ करें, जहां एक भी शिक्षक नहीं है।
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