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हर साल 12 मई को क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय नर्स-डे? आइये जानते हैं क्या है इसका इतिहास और महत्व…।
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विश्व की पहली महिला नर्स के सम्मान में मनाया जाता है ये दिन
हर साल 12 मई को इंटरनेशनल नर्स डे मनाया जाता है। ये खास दिन फ्लोरेंस नाइटिंगेल नामक एक नर्स के जन्मदिन पर उनकी याद में मनाया जाता है। बता दें कि, फ्लोरेंस नाइटिंगेल विश्व की पहली नर्स मानी जाती हैं। उन्होंने क्रीमियन युद्ध के दौरान लालटेन लेकर घायल ब्रिटिश सैनिकों की देखभाल की थी। इस वजह से इन्हें ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से भी जाना जाता है। मरीज की जिंदगी बचाने में जितना योगदान डॉक्टर्स का होता है, उतना ही एक नर्स का। नर्स अपनी परवाह किए बिना मरीज की सच्चे मन से सेवा कर उसकी जान बचाने की हर संभव कोशिश करती है। हत्ता की मानव सेवा के दौरान कई बार उसे अपने घर परिवार तक को छोड़ना पड़ता है, जैसा की आज कोरोना महामारी के चलते हम मध्य प्रदेश समेत देशभर में देख रहे हैं। नर्सों के इली अद्भुत साहस के प्रति उनकी सराहना के लिये इस विशेष दिन को उन्हें डेडिकेट करते हुए मनाया जाता है।
कब से हुई अंतर्राष्ट्रीय नर्स-डे मनाने की शुरुआत
नर्सिंग के संस्थापक फ्लोरेंस नाइटइंगेल का जन्म 12 मई, 1820 को हुआ था। इसी दिन की याद में ये दिन मनाया जाता है।सबसे पहले इस दिवस की शुरुआत साल 1965 में की गई थी। तब से लेकर आज तक यह दिवस इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपने देश में इसकी शुरुआत 1973 में परिवार एंव कल्याण विभाग ने की थी। पुरस्कार से नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्यता प्रदान किया जाता है। पुरस्कार हर साल देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है।
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अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2021 थीम
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस की हर साल अलग थीम होती है। इस समय पूरी दुनिया महामारी कोरोना से जूझ रही है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2021 की थीम नर्स : ए वॉयस टू लीड – ‘ए विजन फॉर फ्यूचर हेल्थकेयर’ रखी है। इस थीम के जरिए लोगों में नर्सों के प्रति सम्मान को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसका मतलब होता है कि भविष्य की स्वास्थ्य सेवा के लिए नर्स का नेतृत्व बहुत महत्वपूर्ण है। इस बार हम यह दिखाना चाहते हैं कि नर्सिंग भविष्य में कैसे दिखेगी और साथ ही साथ कैसे पेशे स्वास्थ्य सेवा के अगले चरण को बदल देगी।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का महत्व
इन दिनों वैश्विक कोरोना महामारी के कारण चिकित्सीय स्टाफ ने अपनी जान की परवाह किये बिना ही पूरी निष्ठा के साथ लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिये खुद को झोंका हुआ है। वैसे तो, डॉक्टरों समेत अस्पताल के सभी सदस्यों का संकट की इस घड़ी से लड़ने में अहम योगदान है, लेकिन इनमें नर्सेज की बेहद अहम भूमिका देखी जा रही है। नर्स एक मां, एक बहन के रूप में मरीजों की सेवा करने में जुटी हुई है, जैसे कि आम तौर पर वो अपने मरीज की सेवा के लिये करती है। इसी रिश्ते को निभाने के कारण उन्हें ‘सिस्टर’ उपनाम भी दिया गया है।