१२ नवंबर को रतलाम में राज्य के २० जिलों से आए करणी सेना व राजपुत समाज के हजारों लोगों ने विरोध जूलुस निकाला था। इस विरोध प्रदर्शन में मुख्य रुप से इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। इसके बाद से लगातार से माना जा रहा था की फिल्म का प्रदर्शन कभी भी प्रदेश में रोका जा सकता है। हालाकि करणी सेना ने ये साफ कर दिया था की फिल्म अगर किसी टॉकीज में लगी तो इसके लिए स्वयं टॉकीज मालिक जिम्मेदार होंगे।
विधायक ने की थी रोक की मांग फिल्म के प्रदर्शन पर रोक की मांग मालवा के जानेमाने नीमच के विधायक दिलीपसिंह परिहार ने एक दिन पूर्व ही की थी। विधायक परिहार ने मुख्यमंत्री शिवराजङ्क्षसह चौहान को इस मामले में पत्र लिखा था। इस पत्र में राजपुत समाज की भावना, अभिव्यक्ति की आजादी का गलत तरीके से उपयोग व महारानी पद्यावती के चित्रण को गलत तरीके से फिल्म में दिखाने की बात कही गई थी। इसके बाद सोमवार को विधायक परिहार ने मुख्यमंत्री चौहान से करणी सेना के सदस्यों के साथ मुलाकात की। इस मुलाकात का लाभ ये हुआ की फिल्म को अब प्रदेश में प्रदर्शन की अनुमती नहीं है।
राज्य में राजपुत समाज खुश मुख्यमंत्री चौहान के इस निर्णय से करणी सेना सहित राजपुत समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर लंबे समय से इस फिल्म को लेकर समाज व करणी सेना के सदस्य अपना विरोध जता रहे थे। रतलाम में तो करणी सेना ने अब तक की इतिहास का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। रतलाम में जो विरोध प्रदर्शन हुआ था, उसने इस फिल्म को प्रदेश में प्रतिबंध करने की नींव रख दी थी। इसमे आगे का काम नीमच विधायक परिहार ने कर दिया। करणी सेना के प्रवक्ता योगेंद्रसिंह के अनुसार मुख्यमंत्री चौहान ने समय रहते बेहतर निर्णय लिया है।