ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कहा कि श्री कृष्ण जन्माअष्टमी के दिन भक्त दिनभर व्रत रखते है व कान्हा की भक्ति में रहते है। भक्त सारा दिन श्रद्धा पूर्वक व्रत रह कर कृष्ण जन्म के बाद अपना व्रत खोलते हैं। ज्यादातर देखा जाता है कि कृष्ण जन्माष्टमी दो अलग अलग दिन पर होती है। इस दिन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी दिनांक 24 अगस्त दिन शनिवार को है।
व्रत की विधि यहां पढ़ें ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कहा कि यह व्रत अष्टमी तिथि को शुरू होता है। सुबह स्नान आदि के बाद घर के मंदिर को साफ सुथरा करके बाल कृष्ण लड्डू गोपाल जी की मूर्ति मंदिर में रखें। माता देवकी संग मूर्ति भी रखें। देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा जी का चित्र लगाएं एकदम वैसा ही जैसे उस समय भगवान का जन्म हुआ था। अब सबकी विधिवत पूजा करें। रात्रि 12 बजे भगवान का जन्म कराएं। भगवान के गीत गाये। सोहर गायें। पुष्प भगवान बाल कृष्ण पर बरसाते रहें। इत्र तथा गंगा जल से पहले ही कृष्ण को स्नान कराके सुंदर नवीन वस्त्र पहनाएं। आभूषण भी पहना सकते हैं। भगवान कीर्तन तथा नृत्य से प्रसन्न होते हैं।उनके सामने मधुर भजन गायें व नृत्य करें। 12 बजे जन्म कराके गीत संगीत के बाद प्रसाद का वितरण करें।
कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से रात 12 बजकर 47 मिनट तक हैै।
पारण- 25 अगस्त को सुबह: 6 बजे तक रहेगा। व्रत का पारण
ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कहा कि 25 अगस्त को सुबह 6 बजे तक पारण अवश्य कर लें। इस महाव्रत के दिन भगवान कृष्ण को भजन तथा नृत्य से भक्त प्रसन्न करें। इस दिन बाल कृष्ण भक्त की सेवा तथा भजन से बहुत खुश रहते हैं तथा प्रत्येक मनोकामना को पूर्ण करते हैं। इस दिन श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ अवश्य करें। श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेवा । इस सुंदर भजन को समूह में गाने से लाभ होता है।