यहां चमत्कारिक महादेव मंदिर है। शिवलिंग की जलाधारी के नीचे महाराजा दुलेसिंह की छोटी-सी मूर्ति है। शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल महाराजा की मूर्ति पर भी गिरता है। श्रावण मास में श्रद्धालु बिल्व पत्र व जल से अभिषेक कर मनोकामना पूरी करते हैं।
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1730 में बसा है सैलाना
सैलाना के राजा जयसिंह ने वर्ष 1730 में सैलाना बसाया था। तब से लगभग केदारेश्वर का इतिहास भी है। एक जानकारी के अनुसार 350 वर्ष पूर्व महाराजा दुलेसिंह ने इस शिवलिंग को देखा और यहां इस मंदिर का निर्माण करवाया, तभी उसी समय से ही इस स्थल का नाम केदारेश्वर पड़ा।
दर्शनार्थियों का स्वागत करता झरना व मनमोहक कुंड
केदारेश्वर की सीढ़ियों से नीचे उतरते ही कल-कल करता एक मनोरम झरना व मनमोहक कुंड दर्शनार्थियों का स्वागत करता प्रतीत होता है। ग्रीष्मकाल में इस कुंड में पानी नहीं होता है, पर शीत और वर्षा ऋतु में इसमें पानी भरा रहता है। अष्टकोणों से घिरे कुंड की बनावट भी काफी आकर्षक है।
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कुंड के चारों तरफ कलात्मक ढंग से बनी हुई सीढ़ियां
वर्षाकाल में अच्छी बारिश के कारण झरने का गिरता हुआ जल हर मन को प्रफुल्लित कर देता है। कुंड के चारों तरफ कलात्मक ढंग से बनी हुई सीढ़ियां हरेक को कुंड के पानी में स्नान करने के लिए आमंत्रित करती मालूम होती है।
दूर दूर से यहां आते हैं श्रद्धालु
श्रावण सोमवार को यहाँ दर्शन-पूजा के लिए बाहर से काफी दर्शनार्थी आते हैं। शिव भक्तों को इंतजार है तो सिर्फ झमाझम बारिश का, ताकि खुशी की लहरों के साथ वे केदारेश्वर दर्शन व पिकनिक के लिए जाएँ और झरने के विराट रूप को देखें।