कुख्यात दिलीप ने 6 कत्ल एक जैसे तरीके से किए थे
दिलीप दिवेल काफी कुख्यात अपराधी था उसने एक ही तरीके से एक दो नहीं बल्कि 6 हत्याएं की थीं। उसने 18 जून 2020 को 62 साल के डॉ. प्रेमकुंवर सिसौदिया निवासी मनीष नगर तथा छोटी दीपावली पर 25 नवंबर 2020 की रात राजीव नगर में 50 वर्षीय गोविंद सोलंकी, उनकी पत्नी 45 वर्षीय शारदा व बेटी 21 वर्षीय दिव्या की घर में घुसकर गोली मार कर हत्या कर दी थी। हत्या का तरीका एक जैसा होने से लग रहा था जिससे पुलिस को तब इस बात का शक था कि सभी हत्याएं एक ही व्यक्ति या गिरोह ने की हैं जो बाद में तफ्तीश में सच साबित हुआ। पुलिस को जांच में पता चला था कि गोविंद, उनकी पत्नी व बेटी की हत्या दाहोद गुजरात के रहने वाले आरोपी दिलीप दिवेल ने साथियों के साथ मिलकर की है। उसके पांच साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन अनेक जगह दबिश देने के बाद भी दिलीप हाथ नहीं आ रहा था। गुजारात में व्यापारी की हत्या की
दिलीप दिवेल ने 2017 में दाहोद में व्यापारी विरल सेठ व अन्य व्यक्ति की हत्या की थी। उसके खिलाफ 2009 में स्थानीय औद्योगिक क्षेत्र थाने में अपहरण व रेप का मामला भी दर्ज हुआ था। व्यापारी की हत्या मामले में उसे दाहोद न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के दौरान ही 2019 में जेल से पेरोल पर बाहर आने के बाद वह भागकर रतलाम आ गया था तथा किराये के मकान में रहकर अपराध कर रहा था। वह साथियों के साथ घरों में घुसकर रुपये व जेवर लूटता था। पकड़ा न जाए तथा पहचान न हो, इसके लिए हत्या कर देता था।
इस दिन हुआ था एनकाउंटर
3 दिसंबर 2020 की रात करीब दस बजे दिलीप के खाचरौद मार्ग से मिडटाउन कालोनी में किराये के मकान पर जाने की सूचना पुलिस को मिली। तत्कालीन आईपीएस गौरव तिवारी को मिली सूचना के बाद रात में ही एसआईटी ने घेराबंदी कर उसे पकड़ने का प्रयास किया था। पुलिस से सामना होते ही दिवेल ने फायरिंग कर दी थी। जवाब में आमने-सामने गोलियां चली। इसमें पुलिस की गोलियों से दिवेल को मौत की मौत हो गई थी। इस मुठभेड़ में तत्कालीन माणकचौक थाना प्रभारी (एसआइ) मोहम्मद अय्यूब खान, एसआइ अनुराग यादव, साइबर सेल के आरक्षक हिम्मत सिंह, विपुल भावसार व बलराम पाटीदार घायल हो गए थे।
अब तक मिल चुके हैं 312 पुरस्कार
साल 2010 में एसआइ पद पर पुलिस सेवा में भर्ती हुए सैलाना थाना प्रभारी मोहम्मद अय्यूब खान खंडवा के मूल निवासी है। वे रतलाम के अलावा इंदौर व बालाघाट में पदस्थ रहे हैं। अब तक वे छह अंधेकत्लों की गुत्थी सुलझाने, 41 चोरियों के मामले में बांछड़ा चोर गिरोह को पकड़ने, बालाघाट में फर्जी नंबरों पर वाहन चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया। तत्कालीन आरटीओं को गिरफ्तार करने के साथ कई शातिर बदमाशों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त कर चुके हैं। बेहतर कार्य के लिए अब तक 312 पुरस्कार मिल चुके हैं।