scriptबडी खबर: ७० वर्षों से रेल कर्मचारी पर दंड राशि में बदलाव नहीं | indian railway monthly pass rules for passengers railway samacha | Patrika News
रतलाम

बडी खबर: ७० वर्षों से रेल कर्मचारी पर दंड राशि में बदलाव नहीं

5 वर्षों में यात्री दंड को 50 रुपए से बढ़ाकर कर दिया 350 रुपए, मामला रेलवे पास के बाद भी टीटीई से जांच नहीं कराने का

रतलामJan 11, 2018 / 01:37 pm

harinath dwivedi

indian railway
रतलाम। भाई साहब बस थोड़ा सा सरक जाना, थोड़ा सा आगे तक जाना है। बस शाम को हमारा स्टेशन आ जाएगा। हम भी रेलवे में ही है। इस प्रकार के शब्द अक्सर आप यात्रा के दौरान सुनते होंगे। टिकट जांच के दौरान जब आप टिकट दिखाते है तब एक आवाज आपका ध्यान खींचती होगी, टिकट के बदले कहा जाता है स्टाफ के है। असल में ये वे रेलकर्मी होते है जिनको यात्रा के लिए पास तो मिलता है, लेकिन इसके बाद भी वे नियम तोड़कर यात्रा करते है। पिछले 70 वर्षो से इन पर नियम तोडऩे पर दंड का नियम 25 व 15 रुपए ही है, जबकि यात्री पर ये जुर्माना पिछले पांच वर्षो में बढ़कर 50 रुपए से 350 रुपए हो गया है।
पहले जाने रेल कर्मचारी कैसे तोड़ता है नियम

एक रेलकर्मचारी को वर्ष में तीन बार नि:शुल्क यात्रा के लिए विभाग से पास जारी होता है। इस पास से कर्मचारी भारत में कही भी यात्रा कर सकता है। नियम कहता है कि पास के बाद जब टिकट लेकर यात्रा करते है तो टिकट निरीक्षक को पास दिखाकर स्वयं के हस्ताक्षर के साथ-साथ टीटीई के भी हस्ताक्षर कराना जरूरी होता है। जबकि रेल कर्मचारी पास तो दिखाता है, लेकिन उस पर हस्ताक्षर नहीं करवाता है। बस यही पर ये नियम टूट जाता है। एेसे में पांच माह के लिए जारी पास का उपयोग रेल कर्मचारी कई बार कर लेता है। वातानुकूलित पर 25 रुपए व शयनयान में ये दंड 15 रुपए ही चल रहा है, जबकि पांच वर्षो में यात्री पर न्यूनतम दंड 50 रुपए से बढ़कर 350 रुपए हो गया।
इतने प्रकार के होते है रेलपास

पीले रंग का- सामान्य शयनयान में यात्रा के लिए।

गुलाबी रंग का- तृतिय श्रेणी वातानुकूलित डिब्बे में यात्रा के लिए।

हरे रंग का-द्वितीय श्रेणी वातानुकूलित में यात्रा के लिए।
सफेद रंग का- सिर्फ अधिकारियों के लिए प्रथम श्रेणी में यात्रा के लिए।

ये है इसमे रेलवे की स्थिति

भारतीय रेलवे में औसतन एक माह में 3 लाख, पश्चिम रेलवे में करीब 17-18 हजार व मंडल में एक माह में करीब 500 रेलकर्मी इस प्रकार से यात्रा करते है। इसके अलावा करीब के स्टेशन पर पदस्थ होकर अपडाउन करने वाले रेलकर्मी तो पास लेते ही नहीं है। वे बगैर टिकट ही यात्रा करते है। इन कर्मचारियों को रेलवे का वाणिज्य विभाग कोई कारवाई नहीं करता है।
जांच जरूरी, नियम हम नहीं बनाते

टीटीई की यह ड्यूटी है कि वह टिकट के साथ-साथ पास की भी जांच करे व नियम टूटता हो तो जुर्माना करे। जहां तक नियम में बदलाव की बात है तो ये मंडल में नहंी बनाए जाते, इस बारे में वरिष्ठ कार्यालय से निर्देश आते है।
जेके जयंत, जनसपंर्क अधिकारी, रतलाम रेल मंडल

Hindi News / Ratlam / बडी खबर: ७० वर्षों से रेल कर्मचारी पर दंड राशि में बदलाव नहीं

ट्रेंडिंग वीडियो