कैसे टूटी गांधीसागर बांध की रिंगवाल, अब होगा खुलासा
केंद्रीय एजेंसियों ने 13 साल पहले ही चेतावनी दी थी कि बांध का स्तर किसी भी हाल में 1275 फीट से ऊपर नहीं जाने दिया जाए लेकिन भारी बारिश के बीच अफसरों ने केंद्रीय एजेंसियों की चेतवनी को नजरअंदाज कर दिया।
रतलाम. एशिया के सबसे बड़ गांधी सागर डैम की रिंगवाल टूटने के कारणों से अब पर्दा उठने लगा हैं। केंद्रीय एजेंसियों ने 13 साल पहले ही चेतावनी दी थी कि बांध का स्तर किसी भी हाल में 1275 फीट से ऊपर नहीं जाने दिया जाए लेकिन भारी बारिश के बीच अफसरों ने केंद्रीय एजेंसियों की चेतवनी को नजरअंदाज कर दिया। बांध का स्तर 1300 फीट को भी पार करके 1317 फीट तक पहुंच गया। जिसके चलते रिंगवाल टूट गई और सैकड़ों घर तबाह हो गए। अचानक गेट खेलने से मप्र के साथ राजस्थान और यूपी के जिलों में भी तबाही हुई। अब पूरे मामले में सीएम ने जांच के आदेश दिए हैं।
सोमवार को रिंगवाल का निरीक्षण करने पहुंचे सीएम ने कहा है कि एजेंसियों की सलाह को नजरअंदाज किया गया है। यदि बांध के जलस्तर का ध्यान रखा जाता तो शायद इतनी तबाही नहीं होती। यह बात मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कही। वे रामपुरा बाढ़ क्षेत्र को दौरा करने आए थे। सीएम ने कहा कि हमने केंद्र सरकार से भी राशि की मांग की है, परन्तु मैं विश्वास दिलाता हूं कि वहां से सहायता मिले या न मिले राज्य सरकार किसानों की सहायता में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगी। मुख्यमंत्री को बताया गया कि वर्ष 2006 में गांधीसागर के पानी ने रामपुरा की रिंगवाल को छुआ था तब केंद्र की एजेंसी ने चेतानवी दी थी कि किसी भी सूरत में बांध का जलस्तर 1275 फीट के ऊपर नहीं जाना चाहिए। आज जलस्तर 1317 तक गया। इस कारण बेकवाटर ने रामपुरा की रिंगवाल को नुकसान पहुंचाया है। सीएम ने कहा कि आवश्यकता पड़ी तो इसकी जांच कराई जाएगी। वैसे बांध की क्षमता 1320 फीट की है। इससे ऊपर पानी नहीं गया है। अभी हम लोगों तक राहत पहुंचाने का काम करना है। वो हमारी पहली प्राथमिकता है। इस प्राकृतिक आपदा से हम सबको सबक सीखना चाहिए। हमने प्रभावित लोगों के खातों में राहत राशि पहुंचना शुरू कर दिया है। भाजपा सरकार में वर्ष 2015-16 में सूखा पडऩे पर लोगों तक राहत पहुंचाने में एक साल से अधिक का समय लग गया था। हमारी सरकार ऐसा नहीं होने देगी। बाढ़ से प्रभावित हुए बच्चों के लिए नई कापी-किताबें भी सरकार उपलब्ध कराएगी।
सीएम ने कहा कि लोगों की सहायता के लिए भले की महत्वपूर्ण कार्यों के बजट में कटौती ही क्यों न करना पड़े। पीडि़त परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए प्रति माह 5 किलो खाद्यान्न भी नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। मृत पशुओं की मौत पर पीएम नहीं किया जाएगा। गाय, भैंस, ऊंट इत्यादि की मौत पर 30 हजार रुपए दिए जाएंगे। भेड़, बकरी इत्यादि की मौत पर 3 हजार रुपए प्रति पशु के मान से दिए जाएंगे। रबी फसल के लिए गुणवत्तायुक्त बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। जिले में 45 हजार 361 किसानों का बीमा हुआ है। 14 हजार 315 किसानों ने फसल नुकसान के लिए विभाग को सूचित कर दिया है। कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से भी नुकसानी का सर्वे करा रहे हैं। मैंने व्यापारियों से भी चर्चा हुई है। उनकी भी पूरी मदद की जाएगी। सर्वे कराकर उन्हें भी उचित मुआवजा दिया जाएगा।
जयवर्धन ने भी खोला मदद का पिटारा नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धनसिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रभावितों की मदद के लिए कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिन परिवारों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं उसके लिए 7 करोड़ रुपए दिए गए हैं। मुख्यमंत्री आवास मिशन के तहत रामपुरा में जिनके भी घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए उन्हें ढ़ाई लाख रुपए सरकार देगी। सभी रहवासियों को शुद्ध पानी मिले, हर घर में नल से पानी पहुंचे इसके लिए उन्होंने ५ करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं। सिंह ने कहा कि बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए सरकार कोई भी कसर बाकी नहीं रखेगी। रिंगवाल क्षतिग्रस्त हुई है। भविष्य में ऐसा हादसा न हो इसका प्रयास करेंगे। रामपुरा में हर घर में 5 से 6 फीट पानी भर गया था। पीडि़तों का राहत दी जा रही है। इस अवसर पर जिले के प्रभारी एवं जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा ने भी संबोधित किया।