फिल्मी पर्दे पर रात में कोर्ट लगते और कोर्ट में धरना प्रदर्शन होते तो दर्शकों ने फिल्म जॉली-एलएलबी में देखा है, लेकिन रियल लाइफ में ऐसे दृश्य नजर नहीं आते। गुरुवार को शाम ४ से खबर लिखे जाने तक कोर्ट में हंगामा चलता रहा। अभिभाषक छात्रा से गैंगरेप के आरोपियों को सीधे जेल भेजने पर असंतोष जताकर धरने पर बैठ गए। इस दौरान दो जज भी अभिभाषकों से चर्चा के लिए पहुुंचे। रात को अभिभाषकों के साथ भाजपा के पदाधिकारी और सहायक संगठनों के प्रतिनिधि भी धरने मेंं शामिल हो गए। इसी बीच प्रभारी नजारत ने जिला अभिभाषक संघ अध्यक्ष के नाम पत्र भेजकर अविलम्ब कोर्ट परिसर को खाली करने के लिए कहा है। पत्र में लिखा है कि यदि कुछ कुछ अनहोनी हुई तो इसके जवाबदेह वकील होंगे। हालांकि वकीलों पर कोई असर नहीं हुआ, उनका धरना जारी रहा। रात में ही वकीलों ने पत्र का जवाब दे दिया।
इस बीच भाजपा जिला महामंत्री प्रदीप उपाध्याय, जिला उपाध्यक्ष विष्णु त्रिपाठी, जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौटाला, पूर्व जिलाध्यक्ष बजरंग पुरोहित सहित कई नेता कोर्ट पहुंचे व अभिभाषकों के धरने का समर्थन किया। अभिभाषक संघ अध्यक्ष दशरथ पाटीदार ने कहा कि पुलिस ने गलती की है। पुलिस रिमांड नहीं मिलता है तब तक धरना आंदोलन जारी रहेगा।
गिरफ्तार तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने से पहले पुलिस ने कोर्ट को छावनी में तब्दील कर दिया था। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के साथ ही सीएसपी, चार-पांच टीआई, डीएसपी ट्राफिक और लाइन के फोर्स की तैनाती कर दी गई थी। आरोपियों को जिस रास्ते से कोर्ट में ले जाया गया उस रास्ते के पहुंच वाले सारे रास्ते बंद कर दिए गए थे। इस दौरान वकीलों की पुलिस अधिकारियों से जमकर बहस भी हुई। वकीलों का कहना था कि वे कोई बदमाश किस्म के लोग हैं जो उन्हें जाने से रोका जा रहा है।
कोर्ट में धरना और प्रदर्शन शुरू होने के बाद पुलिस ने पाक्सों एक्ट के विशेष न्यायाधीश साबिर एहमद खान को पीआर के लिए आवेदन दिया है। इसकी सुनवाई कोर्ट ने २७ को तय की इसके बावजूद वकीलों ने धरना समाप्त नहीं किया। वकीलों को समझाने के लिए पहले सीजेएम डीआर कुमरे और उसके बाद जेएमएफसी राकेश पाटीदार भी पहुंचे लेकिन वकील नहीं माने तो, दोनों जज भी लौट गए। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष दशरथ पाटीदार ने बताया कि रात करीब एक बजे एसपी गौरव तिवारी भी कोर्ट परिसर पहुंचे लेकिन कोर्टरूम में प्रदर्शन कर रहे वकील उनसे मिलने बाहर नहीं निकले। जिसके बाद एसपी वापस लौट गए।
पहली प्राथमिकता शहर में कानून व्यवस्था को बनाए रखना था। सुबह से लेकर शाम तक लगातार घटनाक्रम चलता रहा जिसके चलते पुलिस अधीकारी व फोर्स शहर में तैनात रहा। इस वजह से पुलिस रिमांड मांगने के लिए जो होमवर्क किया जाना था वह नहीं हो पाया। हमारे पास आरोपी से पूछताछ करने के लिए १४ दिन का समय है। इस समयावधि में हम पुलिस रिमांड ले सकते हैं। पुलिस ने रिमांड के लिए आवेदन किया है जिस पर २७ सितंबर को सुनवाई होना है।